सुनील चौधरी, रांची
इडी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करने के बाद झामुमो अलग-अलग तरीके से जहां विरोध जता रहा है. वहीं हेमंत सोरेन के कार्यों और इडी व भाजपा के कार्यकलापों को जनता के बीच ले जाने का फैसला पोटका विधायक संजीव सरदार ने किया है. उन्होंंने हेमंत हमारा अभिमान हैशटैग के साथ अभियान शुरू किया है. अभी इसे सोशल मीडिया पर जारी किया गया है. पर बाद में इसे गांव-गांव तक फैलाने की योजना है.
इस बाबत पूछे जाने पर पोटका विधायक संजीव सरदार ने बताया कि हेमंत सोरेन एक ऐसा मुख्यमंत्री रहें, जिन्हें चार वर्ष के कार्यकाल के दौरान केवल दो वर्ष ही काम करने को मिला. दो वर्ष तो कोरोना काल में बीत गया. इन दो वर्षों में भी विपक्ष की साजिशों व षडयंत्र से जूझते हुए उन्होंने गरीब-गुरबा, दलित, पीड़ित, आदिवासी, मूलवासी के हक में जो काम किया है व झारखंड बनने के बाद 20 वर्षों तक नहीं हुआ था.
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संजीव सरदार ने कहा कि हेमंत के साथ जो हुआ वह पूरा देश देख रहा है. वह आदिवासी स्वाभिमान के साथ रहा. अपने स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं किया. केंद्र की सरकार के आगे घुटना नहीं टेका बल्कि जो जनादेश मिला था, उसका सम्मान किया. यही वजह है हेमंत हमारा अभिमान है. और इसे एक अभियान का रूप देते हुए पहले पोटका विधानसभा क्षेत्र में घर-घर जायेंगे. लोगों को बतायेंगे कि कैसे केंद्र सरकार द्वारा एक आदिवासी मुख्यमंत्री के साथ अन्याय किया गया है. पार्टी जरूरत समझेगी तो इस अभियान को आगे भी बढ़ा सकती है. पर मैं तो अपने क्षेत्र में इसे जल्द ही शुरू करुंगा. अभी सोशल मीडिया पर हैं, फिर घर-घर जायेंगे.
चुनाव आयोग ने राज्य निर्वाचन पदाधिकारी से झारखंड सरकार द्वारा किये गये तबादलों में कंप्लायंस रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने 31 जनवरी तक गृह जिलों में पदस्थापित अधिकारियों के अलावा पिछले चार वर्षों में तीन वर्ष से एक ही जिले में पदस्थापित कर्मियों के भी तबादले का निर्देश दिया था. साथ ही 30 जून 2024 तक तीन वर्ष पूरा होनेवाले कर्मियों का भी स्थानांतरण करने को कहा था. आयोग के निर्देशानुसार राज्य सरकार के विभिन्न विभागों ने अधिकारियों व कर्मियों का तबादला किया है. परंतु, राज्य के वर्तमान राजनीतिक हालात के मद्देनजर आयोग के निर्देश के शत-प्रतिशत अनुपालन में चूक संभव है.
मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे ने पद त्याग दिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने की वजह से उन्होंने मुख्यमंत्री के सचिव का प्रभार छोड़ा. श्री चौबे के पास नगर विकास व उत्पाद विभाग का अतिरिक्त प्रभार था. जबकि, उनका मूल पदस्थापन मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में था. मूल पद का त्याग करने से अतिरिक्त प्रभार से वह स्वत: मुक्त हो गये. पद त्याग करने के बाद श्री चौबे ने कार्मिक विभाग में योगदान कर दिया है. अब सरकार द्वारा पदस्थापित किये जाने तक वह पदस्थापन की प्रतीक्षा में रहेंगे.