रांची: झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि बाबूलाल मरांडी भाजपा और इडी के गठजोड़ की कलई खुलने के डर से नयी कहानी गढ़ रहे हैं. एक तो आदिवासी, मूलवासी, दलित, शोषित अल्पसंख्यक एवं युवाओं के हृदय सम्राट हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करके लोकप्रिय सरकार को अपदस्थ करने की पटकथा भाजपा ने लिखी. जिसका रूपांतर इडी द्वारा कराया गया. अब इसकी कलई खुलने के डर से नयी कहानी गढ़ रहे हैं, नये पात्र चुने जा रहे हैं, तिथियां चुनी जा रही है.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने जारी एक बयान में कहा कि आखिर जब सत्र चल रहा था और सदन में सदस्य के रूप में बाबूलाल उपस्थित थे, तो यह बात उन्होंने सदन में क्यों नहीं की. क्या वो भूल गये कि कल जब हेमंत ने भाजपा को ललकारते हुए कहा था कि कथित साढ़े आठ एकड़ की जमीन का दस्तावेज सदन में पटक कर दिखाओ तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा, तब उनको क्या डर सता रहा था कि रात भर जग कर इडी के अधिकारियों के साथ बैठ कर इस तरह की कहानी गढ़ी.
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सुप्रियो ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने उन्हें बोलने का मौका तक नहीं दिया, क्योंकि वो जानते थे कि बाबूलाल सदन में असत्य बोलेंगे एवं उनके वक्तव्य पर कार्रवाई भी हो सकती थी. इसलिए उन्हें बोलने का मौका तक नहीं दिया. क्योंकि बाबूलाल के नेतृत्व में निर्वाचित हो कर आने के बाद नेता प्रतिपक्ष को मालूम हुआ कि उनका चरित्र कैसा है. छह माह में ही झारखंड विकास मोर्चा को छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया था. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व को यह आभास तब हुआ जब बाबूलाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद अपने इस भूल को सुधारने के लिए अमर कुमार बाउरी को नेता प्रतिपक्ष बनाया, ताकि झूठ का काट बड़ा झूठ से किया जा सके.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल मरांडी सदन में इतने बेखबर क्यों रहते हैं. उन्हें याद होना चाहिए कि जब आजसू ने सीजीएल प्रश्न पत्र लीक का मामला उठाया तो सदन नेता चंपाई सोरेन ने सदन को आश्वस्त किया कि वो इसे गंभीरता से लेते हैं. सदन समाप्ति के पश्चात उन्होंने एसआइटी का गठन करने का आदेश पारित किया. बाबूलाल भूल गये थे कि उनके कार्यकाल में प्रथम और द्वितीय जेपीएससी चयन परीक्षा में किस प्रकार का भ्रष्टाचार हुआ.उनके निकटतम तत्कालीन जेपीएसएसी अध्यक्ष सहित सदस्यों को जेल जाना पड़ा. जिस पर अभी तक कोर्ट में मामला चल रहा है.
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा ने अपने पक्ष में दिये गये समय का उपयोग करते हुए अपने सबसे वरिष्ठ आदिवासी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा को बोलने के लिए अधिकृत किया, तो वो अपनी आत्मग्लानि से अपना वक्तव्य नहीं दिये. क्योंकि उन्होंने पश्चाताप करने के लिए आदिवासी जनमानस के विरुद्ध नहीं जाने का निर्णय लिया. उनके पार्टी के प्रखर वक्ता विधायक भानु प्रताप शाही ने चंपाई सरकार के गठन को भगवान राम से जोड़ा, फूहड़ता की हद तो तब हो गयी जब उन्होंने इस प्रकरण से पाकिस्तान को जोड़ा.