Table of Contents
Lok Sabha Chunav|रांची, सुनील चौधरी : पश्चिम बंगाल में इंडिया के अपने ही सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भिड़ेगा. पश्चिम बंगाल के झारग्राम लोकसभा सीट से झामुमो प्रत्याशी उतारेगा. जल्द ही इसकी घोषणा की जायेगी.
Lok Sabha Chunav| भाजपा के टिकट पर जीते कुनार हेंब्रम
वर्ष 2019 में भाजपा के टिकट पर कुनार हेंब्रम सांसद चुने गये थे. झारग्राम सीट पर टीएमसी, भाजपा के अलावा झामुमो भी उम्मीदवार दे रहा है. वर्ष 2019 में हालांकि झामुमो ने वहां उम्मीदवार न देकर टीएमसी का समर्थन किया था. पर स्थिति इस बार बदली है.
मेदिनीपुर और पुरुलिया जिले में है झारग्राम लोकसभा सीट
गौरतलब है कि झारग्राम संसदीय क्षेत्र पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर और पुरुलिया जिले में स्थित है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट में संताल जनजाति का भी दबदबा है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने वहां से बुद्धदेव मंडी को उतारा था. उन्हें 15114 वोट मिले थे.
2014 में टीएमसी की उमा सोरेन ने जीता था लोकसभा का चुनाव
वर्ष 2014 में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की उमा सारेन ने जीत दर्ज की थी. सीपीएम के डॉ पुलिन बिहारी बास्के वहां दूसरे स्थान पर और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विकास मुडी तीसरे स्थान पर थे.
टीएमसी को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचा सकता है झामुमो
झामुमो के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि झारग्राम में संतालों का दबदबा है. ऐसे में झामुमो यदि वहां प्रत्याशी देता है तो अप्रत्यक्ष रूप से टीएमसी को ही फायदा होगा. यदि झामुमो प्रत्याशी नहीं देता है, तो संताल मतदाता भाजपा की ओर जा सकते हैं. भाजपा को रोकने के लिए झामुमो वहां प्रत्याशी दे रहा है.
ओडिशा के मयूरभंज से भी प्रत्याशी देगा झामुमो
झामुमो ओडिशा के मयूरभंज सीट पर भी अपना प्रत्याशी देगा. साथ ही 19 विधानसभा सीट में भी प्रत्याशी उतारेगा. मयूरभंज में 2004 में झामुमो के सुदाम मरांडी सांसद चुने गये थे. झामुमो 2009, 2014 व 2019 में वहां हार गयी.
फिर मयूरभंज से अंजनी सोरेन को उतार सकता है झामुमो
वर्ष 2019 के चुनाव में अंजनी सोरेन 1.35 लाख से अधिक वोट लाकर तीसरे स्थान पर थी. झामुमो वहां फिर अंजनी सोरेन को ही उतारने पर विचार कर रहा है. एक-दो दिन के अंदर बंगाल के झारग्राम व ओडिशा के मयूरभंज सीट से प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाये.
मयूरभंज से 1952 में जीता था झापा समर्थित प्रत्याशी
स्वतंत्र भारत में हुए पहले चुनाव में ओडिशा के मयूरभंज सीट से वर्ष 1952 व 1957 के चुनाव में झारखंड पार्टी से समर्थित प्रत्याशी आरसी मांझी लगातार दो बार सांसद चुने गये थे. झारखंड से इनका नाता रहा है.
झामुमो ने मयूरभंज को झारखंड में शामिल करने की मांग की थी
यही वजह है कि वृहद झारखंड की मांग में मयूरभंज को भी झामुमो ने शामिल किया था. वर्तमान में झारखंड में सक्रिय रूप से सेंगल अभियान चला रहे सालखन मुर्मू भी 1998 व 1999 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं.