झारखंड की फोरेसिंक साइंस लेबोरेटरी में खाली पड़े 154 पदों पर नियुक्ति होगी. इसके लिए फिर से विज्ञापन निकाला जायेगा. वर्तमान में एडिशनल डायरेक्टर के दो, डिप्टी डायरेक्टर के चार, ज्वाइंट डिप्टी डायरेक्टर के 09, असिस्टेंट डायरेक्टर के 26, साइंंटिफिक असिस्टेंट के 17, एलडीसी के 06, यूडीसी के 02, हेड क्लर्क के 01, ऑफिस सुपरिटेंडेंट के 01, ड्राइवर के 27 और फ्रोर्थ ग्रेड के 59 पद रिक्त हैं.
जुवेनाइल जस्टिस सह पोक्सो कमेटी की बैठक में हुआ फैसला
इन पदों पर नियुक्ति का निर्णय हाइकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस सह पोक्सो कमेटी की बैठक में लिया गया है. गृह सहित संबंधित विभाग को इस निर्णय से अवगत करा दिया गया है. हाइकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस सह पोक्सो कमेटी की बैठक जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता में हुई. सदस्य के रूप में जस्टिस अनिल कुमार चौधरी व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी शामिल हुईं.
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में सीआइडी डीजी अनुराग गुप्ता, गृह विभाग की विशेष सचिव तदाशा मिश्रा, झारखंड स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के सदस्य सचिव संतोष कुमार, जेएससीपीएस डायरेक्टर राजेश्वरी बी, नेशनल हेल्थ मिशन डायरेक्टर डॉ भुवनेश प्रताप सिंह, सीआइडी एसपी निधि द्विवेदी, भवन निर्माण के चीफ इंजीनियर संजय कुजूर, डायरेक्टर ऑफ प्रोस्क्यूशन राज कुमार सिंह, डायरेक्टर ऑफ फोरेंसिक साइंस अरुण कुमार बापुली व चाइल्ड प्रोटेक्शन स्पेशलिस्ट प्रीति श्रीवास्तव मौजूद थीं.
सैंपल संग्रह को लेकर मॉडयूल बनाने का निर्देश
बैठक में एफएसएल डायरेक्टर द्वारा बताया गया कि समय पर सैंपल संग्रह नहीं होने का असर उसकी रिपोर्ट पर भी पड़ता है. इसके लिए जरूरी है कि अनुसंधानकर्ता व डॉक्टर को प्रशिक्षित किया जाये. ताकि समय पर सैंपल संग्रह, उसकी पैकेजिंग और रखरखाव के साथ उसे जांच के लिए एफएसएल पहुंचाया जा सके. इसके लिए कमेटी ने फारेंसिक लेबोरेटरी के निदेशक को निर्देश दिया गया कि वे सैंपल संग्रह, उसकी पैकेजिंग और रख-रखाव के साथ उसे जांच के लिए ट्रेनिंग देने का 10 पेज का हिंदी व अंग्रेजी में मॉडयूल तैयार करें.
डायरेक्टर करेंगे समीक्षा
वहीं फारेंसिक के डायरेक्टर त्रैमासिक इसकी समीक्षा करेंगे. इसमें संबंधित कर्मचारी की रिपोर्ट असंतोषजनक पाये जाने पर उसके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई के लिए गृह विभाग को अनुशंसा करेंगे. बैठक में एसएसएल के वेबसाइट पर सैंपल संबंधी रिपोर्ट अपलोड करने को लेकर एफएसएल डायरेक्टर ने सुझाव दिया. कहा कि फोरेंसिक निदेशालय का एक पोर्टल बनया जा सकता है. जहां न्यायपालिक, एफएसएल व पुलिस के उपयोग के लिए रिपोर्ट अपलोड किया जा सके. इसको लेकर एफएसएल निदेशक को संबंधित विभागों से चर्चा के उपरांत रिपोर्ट पेश करने को कहा गया.