अब झारखंड के पत्रकारों को भी मिलेगी पेंशन, योजना को लेकर सीएम हेमंत सोरेन गंभीर
झारखंड के पत्रकारों को भी अब पेंशन योजना का लाभ मिलेगा. इसे लेकर झारखंड सरकार गंभीर है. सीएम हेमंत सोरेन ने सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया गया है.
राज्य में कार्यरत वैसे पत्रकार, जो रिटायर हो गये हैं या रिटायर होनेवाले हैं, उनके लिए सरकार पेंशन की योजना लाने जा रही है. इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं गंभीर हैं. उन्होंने सभी राज्यों की योजनाओं को मंगा कर एक बेहतरीन योजना बनाने का निर्देश दिया है, ताकि सेवानिवृत्ति के बाद भी पत्रकारों को जीवनयापन के लिए पेंशन मिल सके. सूत्रों ने बताया कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया गया है. विभागीय अधिकारी इस दिशा में काम भी कर रहे हैं. बताया गया कि पूर्व की नीतियां भी लागू हैं, लेकिन इनमें कुछ त्रुटियां थीं. जिस कारण यह पूर्णत: लागू नहीं हो सकीं और रिटायर पत्रकारों को इसका लाभ नहीं मिल सका. अब वर्तमान सरकार द्वारा सारी खामियों को दूर कर इसे बेहतर तरीके से लागू करने का निर्देश दिया गया है.
इन राज्यों में लागू है योजना
हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, केरल और छत्तीसगढ़ ने भी हाल ही में पत्रकार पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की है.
स्वास्थ्य बीमा योजना का नये सिरे से टेंडर निकला
आइपीआरडी द्वारा 23 जून को पत्रकार स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत नये सिरे टेंडर जारी कर इंश्योरेंस कंपनियों से बिड मांगा गया है. कंपनियों ने टेक्निकल व फायनेंशियल बिड मांगा गया है. टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि तीन जुलाई है. टेंडर को लेकर आइपीआरडी द्वारा मंगलवार को प्री बिड मीटिंग भी बुलायी गयी. जिसमें विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. अधिकारियों ने उन्हें पत्रकारों के ग्रुप मेडिक्लेम की योजना झारखंड पत्रकार स्वास्थ्य बीमा योजना की विस्तृत जानकारी दी. कंपनियों को टेंडर में भाग लेने का आग्रह किया गया है.
सिर्फ 169 पत्रकारों के आवेदन आये
पत्रकार स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में केवल 169 पत्रकारों ने ही आवेदन दिया. कम संख्या होने कारण बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (एनआइसी) ने बीमा देने से इनकार कर दिया था. कंपनी का कहना था कि कम से कम 700 पत्रकारों का आवेदन मिलेगा, तभी बीमा कवर करेंगे. कंपनी के इस रवैये से आइपीआरडी ने नाराजगी जतायी. कंपनी से कई दौर की बातचीत की गयी. पर कंपनी ने बीमा कवर करने से इनकार दिया. इसके बाद आइपीआरडी ने एनआइसी को दिये गये काम को रद्द कर दिया.