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JPSC कट ऑफ डेट मामले में झारखंड होईकोर्ट की टिप्पणी, जिनकी उम्र ज्यादा हो गयी, उनका क्या कसूर

सातवीं, आठवीं और नाैवीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के कट अॉफ डेट के मामले में सुनवाई. 2016 से वर्ष 2020 तक परीक्षा की तैयारी करनेवाले अभ्यर्थी कहां जायेंगे, सोचना होगा. जेपीएससी कट ऑफ डेट मामले में झारखंड होईकोर्ट की टिप्पणी, जिनकी उम्र ज्यादा हो गयी, उनका क्या कसूर.

jpsc civil services exam news 2021, jpsc cut off date case रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने सातवीं, आठवीं और नाैवीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा (जेपीएससी परीक्षा) के कट ऑफ डेट को लेकर दायर विभिन्न अपील याचिकाओं पर वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी, महाधिवक्ता और झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को सुनने के बाद माैखिक रूप से कहा कि वर्ष 2016 से 2020 के बीच अोवर एज हो गये लोगों का कोई कसूर नहीं है.

वर्ष 2016 से वर्ष 2020 तक परीक्षा की तैयारी करनेवाले अभ्यर्थी कहां जायेंगे, इस बिंदु पर सोचने की जरूरत है. मामले की सुनवाई जारी रही. अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 25 अगस्त की तिथि निर्धारित की.

हजारों अभ्यर्थी परीक्षा में नहीं हो पाये शामिल :

इससे पूर्व प्रार्थियों की अोर से वरीय अधिवक्ता व पूर्व महाधिवक्ता अजीत कुमार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि जेपीएससी ने 2020 में विज्ञापन निकाला था, जिसमें एक अगस्त 2011 कट अॉफ डेट रखा गया था. बाद में इसे वापस लेकर 2021 में सरकार ने नीति बनायी. जब दोबारा विज्ञापन जारी किया गया, तो उसमें कट अॉफ डेट एक अगस्त 2016 कर दिया गया.

इससे हजारों की संख्या में अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो गये हैं. लंबे-लंबे अंतराल पर परीक्षा होने के कारण पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाया, जबकि 2016 से लेकर 2021 तक कम से कम पांच अवसर मिल सकते थे, लेकिन जेपीएससी की ओर से परीक्षा का आयोजन नहीं किया गया. छात्रों को अवसर का नुकसान हुआ है आैर कट अॉफ डेट बदल देने से हजारों छात्र अोवर एज हो गये हैं. इसमें छात्रों की कोई गलती नहीं है. उन्हें अवसर मिलना चाहिए.

सरकार ने कहा-निर्धारित कट ऑफ डेट सही :

राज्य सरकार की अोर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ को बताया कि कट अॉफ डेट निर्धारित किया गया है, वह सही है. वह अगली सुनवाई के दाैरान सरकार का पक्ष रखेंगे. जेपीएससी की अोर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अमित कुमार, रीना कुमारी, सुजीत कुमार व अन्य की ओर से अपील याचिका दायर की गयी है.

इसमें कहा गया है कि जेपीएससी की ओर से संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के लिए विज्ञापन निकाला गया, जिसमें कट ऑफ डेट एक अगस्त 2016 रखा गया है. प्रार्थियों ने इसे घटा कर एक अगस्त 2011 करने की मांग की है. कहा गया कि वर्ष 2020 में जेपीएससी ने संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी किया था, उसमें कट ऑफ डेट 2011 रखा गया था. जिसे बाद में वापस ले लिया गया.

Posted By : Sameer Oraon

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