”JPSC की छवि सुधारनी है, तो नियमावली में लाना होगा बदलाव”, प्रभात खबर से बातचीत में बोली अध्यक्ष डॉ नीलिमा
डॉ मेरी नीलिमा केरकेट्टा ने कहा कि आयोग में जितना सहयोग मिलना चाहिए था, नहीं मिल पाया. अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से कई नियुक्तियां फंसी रह गयीं.
संजीव सिंह, रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) में बतौर अध्यक्ष डॉ मेरी नीलिमा केरकेट्टा का बुधवार को अंतिम दिन है. डॉ केरकेट्टा ने 27 सितंबर 2022 को जेपीएससी अध्यक्ष का पद संभाला. उम्र सीमा 62 वर्ष पूरा होने के कारण नियमानुसार उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है. महाराष्ट्र कैडर की तेजतर्रार सेवानिवृत्त वरीय आइएएस डॉ केरकेट्टा ने ‘प्रभात खबर’ से बातचीत में कहा कि उन्हें 11वीं सिविल सेवा, सीडीपीओ, विवि अधिकारियों की नियुक्ति परीक्षा का समय से पहले रिजल्ट तैयार रहते हुए जारी नहीं कर पाने का मलाल रहा.
2001 में बनी नियमावली में लाना होगा बदलाव
उन्होंने कहा कि आयोग में जितना सहयोग मिलना चाहिए था, नहीं मिल पाया. अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से कई नियुक्तियां फंसी रह गयीं. डॉ केरकेट्टा कहती हैं : जेपीएससी की छवि सुधारनी है, तो सबसे पहले 2001 में बनी नियमावली (रूल्स) में बदलाव लाना होगा. हमने कहीं नहीं देखा कि विवि में प्रोफेसर सहित इंजीनियरिंग कॉलेजों, बिरसा कृषि विवि में चीफ साइंटिस्ट जैसे पदों, विवि अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों आदि महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर के सदस्य के जिम्मे है. जबकि, ग्रेड पे भी नियुक्त लोगों से काफी कम है. मैंने देखा है कि महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के लोक सेवा आयोग में कुलपति स्तर के लोग सदस्य रहते हैं. सदस्यों के जितने पद हैं, कम से कम 50 प्रतिशत पदों पर एडमिनिस्ट्रेटिव बैकग्राउंड वाले लोगों को रखना चाहिए. सदस्यों के चयन में यह तालमेल बहुत जरूरी है. वर्तमान में आयोग में जो तीन सदस्य हैं, वे सभी विवि सेवा से ही जुड़े हुए हैं.
परिस्थिति अनुकूल नहीं रही, कई कार्य नहीं कर सकी
डॉ केरकेट्टा ने कहा कि रिजल्ट जारी करने के लिए नियमानुसार स्क्रूटनी के लिए तीन सदस्यों की स्वीकृति जरूरी है. एक भी सदस्य अगर नहीं हैं, तो मामला फंसा रह जाता है. इससे रिजल्ट में विलंब हो जाता है. इसलिए इस नियमावली में संशोधन होना चाहिए. उन्होंने कहा : मैंने हर काम सावधानी पूर्वक करने का प्रयास किया. मैं जानती थी कि आयोग पर जो भी दाग लगे हैं, उसे हर हाल में मिटाना है. समय कम मिला, परिस्थितियां भी अनुकूल नहीं रही, जिससे कई कार्य नहीं कर सकी. हालांकि, अपना 100 प्रतिशत देने का प्रयास किया. मेरा तो कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन झारखंड के युवाओं का बहुत बड़ा नुकसान हो गया. इसका मुझे हमेशा अफसोस रहेगा.
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