ईडी को कारोबारी विनोद सिंह के घर से JSSC की प्रतियोगी परीक्षाओं के मिले एडमिट कार्ड

चैट के सिलसिले में हेमंत सोरेन से उनका मोबाइल फोन मांगा गया था, लेकिन उन्होंने वह मोबाइल फोन नहीं दिया. हालांकि, विनोद सिंह के साथ व्हाट्सऐप चैट की बात स्वीकार की.

By Prabhat Khabar News Desk | February 8, 2024 6:34 AM

रांची : पावर ब्रोकर और व्यवसायी विनोद सिंह के घर से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के एडमिट कार्ड मिले हैं. ईडी ने विनोद सिंह और अन्य के बीच हुए व्हाट्सऐप चैट का प्रिंट कोर्ट को सौंपा है, जो 539 पेज में है. इसी में विनोद सिंह द्वारा हेमंत सोरेन के साथ किये गये चैट का भी ब्योरा है. चैट में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के अलावा ‘कोलकातावाले लालाजी’ से मिलने की बात कही गयी है. इसके अलावा किसी मामले में प्रति माह दो करोड़ रुपये मिलने का भी उल्लेख है. इडी ने पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश की अदालत में दायर हेमंत सोरेन के प्रोडक्शन पिटीशन में इन तथ्यों का उल्लेख किया है.

ईडी द्वारा कोर्ट में दायर प्रोडक्शन पिटीशन में कहा गया है कि विनोद सिंह के घर पर छापेमारी के दौरान जेएसएससी की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के बहुत से एडमिट कार्ड मिले हैं. इडी के प्रोडक्शन पिटीशन में कहा गया है कि विनोद सिंह के मोबाइल से मिले व्हाट्सऐप चैट में कुछ संपत्तियों का भी ब्योरा है. इसमें गोपनीय दस्तावेज भेजे जाने का ब्योरा है. चैट के सिलसिले में हेमंत सोरेन से उनका मोबाइल फोन मांगा गया था, लेकिन उन्होंने वह मोबाइल फोन नहीं दिया. हालांकि, विनोद सिंह के साथ व्हाट्सऐप चैट की बात स्वीकार की.

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प्रोडक्शन पिटीशन में बड़गाईं अंचल की 5.8 एकड़ जमीन की चर्चा

प्रोडक्शन पिटीशन में बड़गाईं अंचल की 8.5 एकड़ जमीन की चर्चा करते हुए कहा गया है कि पीएमएलए की धारा-16 के तहत किये गये सर्वे में इस जमीन पर हेमंत सोरेन के अवैध कब्जे की पुष्टि हुई है. जमीन के इस मामले की जांच शुरू होने के बाद से इस पर पर्दा डालने की कोशिश की गयी. जांच में पाया गया है कि इडी द्वारा समन भेजे जाने के बाद से अंचल अधिकारी के कार्यालय से जमीन के दस्तावेज में गड़बड़ी से संबंधित एक मामले की शुरुआत की गयी. आठ जनवरी को राजकुमार पाहन के पक्ष में जमीन वापसी के लिए एक मुकदमा शुरू किया गया और सिर्फ 18 दिनों में इसका निष्पादन करते हुए जमीन राजकुमार पाहन के पक्ष में वापस करने का आदेश पारित कर दिया गया.

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