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JE परीक्षा के अभ्यर्थियों ने किया JSSC का हवन व पिंडदान, आज होगा मृत्युभोज का आयोजन

डिप्लोमा स्तर संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का रिजल्ट निकालने की मांग को लेकर अभ्यर्थी 16 फरवरी से राजभवन के समक्ष आमरण अनशन पर हैं. पिछले दिनों अभ्यर्थियों ने जेएसएससी की शवयात्रा निकाली थी.

रांची : झारखंड डिप्लोमा स्तर (जूनियर इंजीनियर) संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2023 के अभ्यर्थियों ने बुधवार को जेएसएससी की आत्मा शांति को लेकर हवन व पिंडदान किया. हवन व पिंडदान के लिए दो पंडितों को बुलाया गया था. इसके बाद अभ्यर्थियों ने राजभवन से रांची विश्वविद्यालय तक पदयात्रा निकाली. 22 फरवरी की सुबह नौ बजे राजभवन के समक्ष जेएसएससी का मृत्युभोज किया जायेगा.

अभ्यर्थियों ने झारखंड की जनता को इस भोज में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा है. उल्लेखनीय है कि डिप्लोमा स्तर संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का रिजल्ट निकालने की मांग को लेकर अभ्यर्थी 16 फरवरी से राजभवन के समक्ष आमरण अनशन पर हैं. पिछले दिनों अभ्यर्थियों ने जेएसएससी की शवयात्रा निकाली थी.

जेएसएससी की ओर से परीक्षा की फाइनल उत्तर कुंजी व रिस्पांस शीट जारी की जा चुकी है. इसके बावजूद रिजल्ट नहीं निकाला गया है. अभ्यर्थियों का कहना है कि जेएसएससी उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है.

आंदोलन के कारण अध्यक्ष ने दिया त्यागपत्र : देवेंद्र

सीजीएल पेपर लीक की सीबीआइ जांच को लेकर झारखंड स्टेट स्टूडेंटस यूनियन की अोर से किये गये आंदोलन के परिणामस्वरूप जेएसएससी अध्यक्ष नीरज सिन्हा ने त्याग पत्र दिया है. यूनियन के देवेंद्र नाथ महतो ने कहा कि श्री सिन्हा के नेतृत्व में एक भी परीक्षा का संचालन निष्पक्ष व पारदर्शिता के साथ संपन्न नहीं हुआ. 10 साल के बाद सीजीएल परीक्षा हुई, लेकिन 28 जनवरी को परीक्षा से पूर्व ही पेपर लीक हो गया.

इस्तीफा दिग्भ्रमित करनेवाला : अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) ने कहा है कि जेएसएससी अध्यक्ष नीरज सिन्हा का इस्तीफा दिग्भ्रमित करने का प्रयास है. संघ के अध्यक्ष ओम वर्मा ने कहा कि आज जब छात्र आंदोलन कर रहे हैं और विभाग शक के दायरे में है, तब अध्यक्ष का व्यक्तिगत कारणों से पद से इस्तीफा देना राज्य सरकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि आजसू ने चरणबद्ध आंदोलन कर जेएसएससी सीजीएल पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच कराने और जेएसएससी अध्यक्ष के इस्तीफे की मांग की थी. इस्तीफा इस मामले की मूल वजह को छिपाने का प्रयास है. सरकार अविलंब पेपर लीक प्रकरण की निष्पक्ष जांच सीबीआइ से कराये, ताकि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले और छात्रों के साथ न्याय हो.

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