JSSPS प्रशासन पर पहले से ही उठते रहे हैं सवाल, बीते 2 सालों में दर्जनों खिलाड़ियों ने छोड़ी संस्था
रविवार की घटना के बाद से जेएसएसपीएस एक बार फिर से चर्चा में है. दो दिन से बीमार बालिका खिलाड़ी की मौत के पीछे अव्यवस्था और अनदेखी को कारण बताया जा रहा है.
रिम्स के पास जेएसएसपीएस के कैडेट ने प्रदर्शन करते हुए उसे धरनास्थल बना दिया था. किसी के समझाने पर भी वह वहां से उठने के लिए तैयार नहीं थे. रात 12.25 बजे सभी कैडेट को पुलिस ने बस में बैठाकर खेलगांव के हॉस्टल भेज दिया. वहीं इससे पहले कैडेट का आरोप था कि हॉस्टल में वार्डन गूगल से दवा देखकर हमारा इलाज करती है. अगर अंजलि का सही तरीके से इलाज किया जाता, तो वह जिंदा रहती. कैडेट रिम्स में अंजलि की रिपोर्ट लेने के लिए अड़े थे और वहां से हटने का नाम नहीं ले रहे थे.
बीमार बालिका खिलाड़ी की मौत ने व्यवस्था पर उठाया सवाल : रविवार की घटना के बाद से जेएसएसपीएस एक बार फिर से चर्चा में है. दो दिन से बीमार बालिका खिलाड़ी की मौत के पीछे अव्यवस्था और अनदेखी को कारण बताया जा रहा है. यहां बताते चलें कि झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएसपीएस) का गठन झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र के खिलाड़ियों को ओलिंपिक तक पहुंचाने के लिए किया गया था.
इसके लिए 2015 में झारखंड सरकार और सीसीएल के बीच एमओयू भी हुआ था. जिसके बाद एथलेटिक्स, फुटबॉल, तीरंदाजी और अन्य खेलों का एकेडमी बनाकर खिलाड़ियों को तराशने का काम किया जाने लगा. लेकिन समय के साथ जेएसएसपीएस की व्यवस्था पर ही सवाल उठने लगे. वहां व्याप्त अव्यवस्था का खामियाजा खिलाड़ियों को भुगतना पड़ा. इस कारण पिछले डेढ़ से दो साल में दो दर्जन से अधिक खिलाड़ी जेएसएसपीएस छोड़ चुके हैं. वहीं कुछ खिलाड़ियों ने एकेडमी छोड़ने से पहले शिकायत भी की थी, लेकिन उस पर जेएसएसपीएस प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया.
आशा किरण ने भी शिकायत के बाद छोड़ा था जेएसएसपीएस :
अंतरराष्ट्रीय स्तर की एथलीट आशा किरण बारला भी पहले जेएसएसपीएस की प्रशिक्षु रह चुकी हैं. दो साल पहले इस खिलाड़ी ने भी अपने वार्डन के खिलाफ प्रशासन को शिकायत की थी. लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और कार्रवाई तक नहीं हुई. जिसके बाद आशा ने जेएसएसपीएस छोड़ दिया और बोकारो में जाकर प्रशिक्षण प्राप्त करने लगी.
एक खिलाड़ी हो गयी थी लापता :
दो साल पहले 2021 में अचानक शाम में एक बालिका कैडेट हॉस्टल से गायब हो गयी थी. जिसके बाद जेएसएसपीएस प्रबंधन ने कहा कि वह छुट्टी लेकर घर गयी है. लेकिन बाद में उस कैडेट के बारे में पता चला कि वह अपने घर चली गयी है. हालांकि इसके पीछे का मामला कुछ और था. इस मामले की भी जांच नहीं की गयी और मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया.
खिलाड़ियों के इलाज के लिए व्यवस्था नहीं :
जेएसएसपीएस में खिलाड़ियों के इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. यहां न तो कोई डॉक्टर रहता है और न ही तत्काल कोई इलाज किया जाता है. इस बारे में सीइओ जीके राठौड़ ने कहा कि यहां इलाज की व्यवस्था नहीं है.