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Jharkhand News: कहीं मर्डर मिस्ट्री बन कर न रह जाये जज हत्याकांड, झारखंड हाइकोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी

झारखंड हाइकोर्ट ने जज उत्तम आनंद की मौत के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. कोर्ट ने सीबीआइ की स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद नाराजगी जतायी. हाईकोर्ट ने कहा कि, कहीं मर्डर मिस्ट्री बन कर न रह जाये जज हत्याकांड.

By Prabhat Khabar News Desk | January 8, 2022 10:18 AM

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने जज उत्तम आनंद की मौत के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. कोर्ट ने सीबीआइ की स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि हत्या के मामले की जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है. जांच में जितना अधिक समय लगेगा, अपराधी को भागने व बचाव का उतना ही अधिक माैका मिलेगा.

सरकार के अधिवक्ता संजय पिपरवाल, अधिवक्ता प्रिंस कुमार व अधिवक्ता राकेश रंजन ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि धनबाद के जज उत्तम आनंद की सड़क दुर्घटना में मौत को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. सीबीआइ से पहले पुलिस की एसआइटी जांच कर रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी जज की मौत मामले में सुनवाई करते हुए सीबीआइ को निर्देश दिया था कि जांच का स्टेटस रिपोर्ट प्रत्येक सप्ताह हाइकोर्ट को सौंपे. हाइकोर्ट जांच की मॉनीटरिंग कर रहा है.

14 को जांच की स्टेटस रिपोर्ट तलब

मामले की अगली सुनवाई के दाैरान सीबीआइ को जांच का स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 जनवरी की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व सीबीआइ की ओर से एडिशनल सोलिसीटर जनरल व वरीय अधिवक्ता एसबी राजू ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि जांच के दौरान अब तक 200 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है. अनुसंधान अभी जारी है. मोबाइल छीनने के दाैरान हत्या किये जाने की आशंका है. आरोपियों का नारको टेस्ट व ब्रेन मैपिंग दोबारा कराया गया है, जिसकी रिपोर्ट आनी है. हर बिंदु पर अनुसंधान चल रहा है. षड़यंत्रकर्ता तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है.

सीबीआइ की क्षमता पर संदेह नहीं

खंडपीठ ने कहा कि उसे सीबीआइ की क्षमता पर कोई संदेह नहीं है. सीबीआइ कोशिश कर रही है, लेकिन हो नहीं पा रहा है. सीबीआइ चार्जशीट में कहती है कि मर्डर जानबूझ कर (इंटेंशनली) किया गया है. इंटेंशन के पीछे, कोई तो मोटिव होगा. बगैर मोटिव धारा 302 के तहत हत्या कैसे साबित करेंगे. अब मोबाइल लूट के प्रयास में हत्या की संभावना बताया जा रहा है, लेकिन सीसीटीवी फुटेज कुछ और कह रहा है.

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खंडपीठ ने कहा कि मोबाइल छीनने के लिए इस तरह का क्राइम होता है क्या. यदि ऐसा था तो सीसीटीवी फुटेज में तो दिखता कि आरोपी मोबाइल सर्च कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. फुटेज में स्पष्ट दिखाई देता है कि जज को जानबूझ कर मारा गया है. अनुसंधान में यदि यही स्थिति रही, तो कहीं जज हत्याकांड मर्डर मिस्ट्री न बन जाये.

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Posted by: Pritish Sahay

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