रांची़ ज्यूडिशियल एकेडमी रांची की ओर से रविवार को आपराधिक जांच व परीक्षण : मुद्दे और चुनौतियां विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला में उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय के न्यायाधीशों, डॉक्टरों, वकीलों, अभियोजकों और पुलिस अधिकारियों ने हिस्सा लिया. झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आनंद सेन ने उभरते कानूनी ढांचे की भूमिका पर जोर देते हुए पारदर्शिता बढ़ाने और पारंपरिक कानूनी प्रावधानों को परिष्कृत करने के महत्व को रेखांकित किया. वहीं तकनीकी सत्र में आपराधिक जांच में तकनीकी प्रगति पर चर्चा की गयी. इसमें एफआइआर पंजीकरण, रिमांड प्रोटोकॉल, तलाशी और जब्ती की प्रक्रिया और फोरेंसिक साक्ष्य संग्रह जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर किया गया. दूसरे सत्र में गवाहों के प्रति सहानुभूति के महत्व पर जोर दिया गया. साथ ही गवाह सुरक्षा और साक्ष्य मूल्यांकन को मजबूत बनाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की गयी. अंतिम सत्र में साक्ष्य संग्रह और व्याख्या पर चर्चा की गयी. इसमें चिकित्सा, डिजिटल और फोरेंसिक साक्ष्य के संग्रह और उनके जटिल कानूनी मामलों में व्यावहारिक उपयोग को रेखांकित किया गया. कार्यशाला में जस्टिस गौतम चौधरी, रजिस्ट्रार जनरल मनोज प्रसाद, एसटीएफ के आइजी अनूप बिरथरे, सेंट्रल अकादमी ऑफ पुलिस ट्रेनिंग भोपाल अनिल किशोर यादव, रिम्स के सेवानिवृत्त निदेशक डॉ तुलसी महतो, एसएफएसएल के अतिरिक्त निदेशक विवेक कुमार सिंह ने विचार रखे.
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