जुडको की योजनाओं की प्रगति धीमी, झारखंड सरकार के फंड पर पड़ेगा असर
आधे दशक पहले शुरू की गयीं ये योजनाएं धीमी रफ्तार की वजह से अब तक अधूरी हैं. सबसे खराब स्थिति जलापूर्ति योजनाओं की है. अपवाद को छोड़ कर ज्यादातर जलापूर्ति योजनाओं का काम 50 प्रतिशत भी नहीं हो पाया है.
राज्य में शहरों के विकास के लिए जिम्मेवार झारखंड अरबन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी (जुडको) की योजनाओं की प्रगति काफी धीमी है. इस वजह से राज्य सरकार की योजनाओं की लागत में करोड़ों रुपये की वृद्धि हो सकती है. जुडको की छोटी-बड़ी योजनाओं को मिला कर विभिन्न शहरों में 100 से अधिक नागरिक सुविधाओं पर काम चल रहा है.
लेकिन, आधे दशक पहले शुरू की गयीं ये योजनाएं धीमी रफ्तार की वजह से अब तक अधूरी हैं. सबसे खराब स्थिति जलापूर्ति योजनाओं की है. अपवाद को छोड़ कर ज्यादातर जलापूर्ति योजनाओं का काम 50 प्रतिशत भी नहीं हो पाया है. वहीं, इंटर स्टेट बस टर्मिनल योजना का काम कई शहरों में शुरू तक नहीं किया जा सका है. सेप्टेज योजनाओं की भी कमोबेश यही स्थिति है.
विभागों में समन्वय नहीं होने से फंसती है योजना :
राज्य सरकार के विभागों में समन्वय की कमी जुडको की योजनाओं के धरातल पर उतरने में हो रहे विलंब का सबसे बड़ा कारण है. कई जनोपयोगी योजनाएं फाइलों में उलझ कर रह जाती हैं. कभी योजना के लिए जमीन नहीं मिलती, तो कभी कार्य की अनुमति. पथ निर्माण विभाग की स्वीकृति के चक्कर में जलापूर्ति योजनाओं का काम वर्षों लटका रहता है. स्थानीय प्रशासन भी सेप्टेज, आइएसबीटी समेत अन्य योजनाओं के लिए भूमि के चयन में काफी समय लगाता है.
राज्य सरकार के कोष पर पड़ेगा असर :
योजनाओं को धरातल पर उतारने में होनेवाले विलंब का सीधा असर राज्य सरकार के कोष पर पड़ता है. कार्यान्वयन में होनेवाली देरी के कारण योजना की पूर्व निर्धारित लागत में लगातार वृद्धि होती है. वाटर सप्लाई, आइएसबीटी, ट्रांसपोर्ट नगर जैसी बड़ी योजनाओं के कार्यान्वयन में हो रहे विलंब का खमियाजा योजनाओं की लागत में करोड़ों रुपये की वृद्धि के रूप में चुकाना पड़ेगा.
कहीं पूरी नहीं हुई वाटर सप्लाई योजना :
राज्य के किसी भी शहर में वाटर सप्लाई योजना पूरी नहीं हो सकी है. अरबों रुपये लागतवाली इन योजनाओं का पहला फेज भी कई शहरों में पूरा नहीं किया जा सका है. यही हाल सीवरेज-डेनेज योजना का भी है. राज्य के किसी भी शहर में सीवरेज-ड्रेनेज का सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं किया जा सका है. हालांकि, सभी 48 नगर निकायों में वाटर सप्लाई और सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम का काम चल रहा है.
बस टर्मिनल तक नहीं बनाया जा सका :
राज्य गठन के बाद से अब तक किसी शहर में इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आइएसबीटी) तक नहीं बनाया जा सका है. रांची, जमशेदपुर व धनबाद में आइएसबीटी का निर्माण प्रस्तावित है. राजधानी में वर्षों तलाश के बाद आइएसबीटी के लिए जमीन चयनित की गयी है, लेकिन अब तक निर्माण शुरू नहीं किया जा सका है. धनबाद व जमशेदपुर में भी जमीन चिह्नित होने के बावजूद निर्माण कार्य नहीं किया जा सका है.