रांची के डॉ फतेहउल्लाह रोड स्थित सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस स्वर्गीय एमवाइ इकबाल की जमीन की चहारदीवारी तोड़ कर भू-माफिया द्वारा कब्जा करने के प्रयास को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने ‘प्रभात खबर’ में प्रकाशित खबर पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले को याचिका में तब्दील कर दिया.
मुख्य सचिव, गृह विभाग के प्रधान सचिव, रांची के एसएसपी, लोअर बाजार थाना प्रभारी को प्रतिवादी बनाते हुए जवाब दायर करने का निर्देश दिया. गृह विभाग के प्रधान सचिव को शपथ पत्र दायर कर विस्तृत जवाब देने को कहा. वहीं, रांची के एसएसपी को व्यक्तिगत शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने एडीजी आरके मल्लिक को जांच की जिम्मेदारी सौंपने का निर्देश दिया. संबंधित पुलिस ऑफिसर श्री मल्लिक को जरूरत के मुताबिक उन्हें सहायता प्रदान करेंगे. मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी.
खंडपीठ ने राज्य की विधि-व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी की. कहा कि न्यायिक व्यवस्था का कार्य करते हुए हमलोग अनुभव कर रहे हैं कि झारखंड में भू-माफिया, गैंग सक्रिय हैं. आये दिन दिन-दहाड़े जमीन पर कब्जा हो रहा है. भू-माफियाओं के कब्जा करने की घटनाओं से आमलोगों में भय है. आमलोगों का प्रशासन पर से विश्वास टूट रहा है. लोग सिस्टम से अपने को असमर्थ अनुभव कर रहे हैं.
इसका असर विधि-व्यवस्था पर पड़ रहा है. विधि-व्यवस्था बनाये रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. यदि किसी आम नागरिक को ऐसे माहौल में रहना पड़ रहा है, कि उसकी संपत्ति कभी भी हड़पी जा सकती है, छीनी जा सकती है, तो इससे देश में कानून का राज खत्म हो जायेगा. खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार को यह पता है कि झारखंड में जमीन पर कब्जा की घटनाएं हो रही हैं. हाइकोर्ट में भी कई शिकायतें आ रही है. जमीन पर कब्जा करने, रंगदारी मांगने जैसे आपराधिक मामले शामिल हैं. खंडपीठ ने यह भी कहा कि जज बनने के बाद ऐसा नहीं होता कि उसके अधिकार छिन गये, बल्कि जज भी कॉमन मैन है.
डॉ फतेहउल्लाह रोड स्थित सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस स्वर्गीय एमवाइ इकबाल की जमीन की बाउंड्री तोड़ कर 25 जून को भू-माफिया ने कब्जा करने का प्रयास किया. इसकी सूचना जिला प्रशासन और थाना को दी गयी. बाद में भू माफियाओं को वहां से खदेड़ दिया गया. भू-माफिया गेट, बालू-सीमेंट, ईंट व मजदूर अपने साथ लाये थे. पुलिस की देखरेख में क्षतिग्रस्त बाउंड्री का मरम्मत की गयी. ‘प्रभात खबर’ ने इस घटना को 26 जून के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था. इस खबर को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे याचिका में तब्दील कर दिया.