रांची : शाहदेव नगर निवासी जेवीएम श्यामली के 11वीं (साइंस) के छात्र ईशान आर्यन ने गुरुवार रात आत्महत्या कर ली. वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान था. पिता संजय कुमार सिंह बताते हैं : दिन में ईशान परीक्षा देकर घर लौटा, तो बताया कि पेपर अच्छा नहीं गया़ रात में अपने कमरे में सोने चला गया. सुबह उसका शव ओढ़नी के फंदे के सहारे पंखे से लटका मिला.
10वीं तक संत थॉमस स्कूल में पढ़नेवाला ईशान मेधावी था. वह नेशनल स्तर पर स्कूली टूर्नामेंट (हैदराबाद) खेल चुका था. उसके दोस्त बताते हैं कि वह 91% अंकों के साथ 10वीं पास किया था. जेवीएम श्यामली के प्राचार्य समरजीत जाना ने कहा कि मैंने उसका फीजिक्स का पेपर देखा है.
वह फेल करनेवाला नहीं था. गुरुवार को ईशान ने दोस्तों के साथ फोन पर चैट किया था. तड़के चार बजे पिता ने देखा वह फंदे पर लटका हुआ है. पिता उसे लेकर रिम्स पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. संजय कुमार पेशे से हाइकोर्ट में सरकारी अधिवक्ता हैं. पुलिस इस घटना की जांच कर रही है.
जेवीएम श्यामली के प्राचार्य समरजीत जाना ने कहा कि ईशान पढ़ाई में अच्छा था. वह फेल करनेवाला नहीं था. उन्होंने ईशान के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि स्कूल द्वारा अगर किसी छात्र का पेपर ठीक नहीं जाता है, तो स्कूल दोबारा परीक्षा भी लेता है. छात्रों को विचलित होने की जरूरत नहीं है.
वर्तमान में बच्चों पर पढ़ाई व उसके परिणाम का बहुत तनाव है. इस तनाव की वजह से कई बच्चे आत्महत्या जैसे कदम तक उठा लेते हैं. उनको लगता है कि अगर वह फेल हो गये या कम अंक आये तब क्या होगा? यह डर और तनाव उनके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने लगता है. बच्चे यह जरूर सोचें कि यह परीक्षा परिणाम जीवन की सफलता तय नहीं कर सकते. मेहनत कर सफलता पायी जा सकती है.
डॉ भूमिका सच्चर, मनोवैज्ञानिक
दोस्त : भाई टेंशन मत लो. टर्म एक का मिला के देंगे. और मान लो रिटेस्ट भी दिया, तो अब तो पता चल ही गया है कि कैसा कहां से आयेगा. तैयारी कर लेना.
ईशान : हां भाई. अब बाकी बचा हुआ ठीक से पास हो जायेगा. मेरी ही गलती था. मेरी ही गलती था. लास्ट टाइम के लिए छोड़ दिये थे सब कुछ. बहुत वर्थलेस टाइप लग रहा है आज. 11 वीं में ये हाल मेरा. कहां से जेई कर पायेंगे.
प्राचार्य ने बताया कि स्कूल में शनिवार को 11 वीं साइंस के छात्रों की केमेस्ट्री की परीक्षा होनी थी. घटना के बाद इसे स्थगित कर दिया गया है.
जिंदगी अनमोल है. ये हर बार खुद को साबित करने का मौका देती है. ऐसे में परीक्षा या किसी परेशानी के बहाने जिंदगी को दांव पर लगाना समझदारी नहीं. यह याद रखें कि सफलता और विफलता जीवन के दो पहलू हैं. विफलता के बाद भी लोग सफल होते हैं और इसके उदाहरण हमारे आसपास भरे पड़े हैं. हर दिन नया मौका लेकर आता है. कभी भी हार न मानें, संघर्ष का जज्बा रखें.
Posted By: Sameer Oraon