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कैसे किया जाता है Jivitputrika व्रत, जीवित्पुत्रिका का व्रत कब है, यहां जानें

jivitputrika vrat kab hai: मिथिलांचल और देश के अन्य हिस्सों में रहने वाली मैथिल महिलाएं 16 सितंबर को व्रत को लेकर स्नान करेंगी और 17 सितंबर को उपवास रखेंगी. इसी दिन पूजा-अर्चना करेंगी और व्रत की कथा सुनेंगी. मिथिला पंचांग के अनुसार सप्तमी युक्त अष्टमी के व्रत की महत्ता है.

jivitputrika vrat kab hai: जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर को है. वाराणसी पंचांग के अनुसार इस दिन शाम 4:39 बजे तक अष्टमी है. इस वजह से व्रत का पारण 19 सितंबर को होगा. पंचांग के अनुसार, पारणा के लिए नवमी तिथि और पूर्वाह्न के समय की महत्ता है. यही वजह है कि इसकी पारणा अगले दिन अर्थात् सोमवार को सूर्योदय के बाद होगा. इस दिन सूर्योदय 5:57 बजे होगा.

मातृ नवमी का श्राद्ध

इसके बाद व्रतधारी भगवान की पूजा-अर्चना करके पारणा करेंगी. इसी दिन मातृ नवमी का श्राद्ध भी होगा. इससे पहले 17 सितंबर को महिला इस व्रत के लिए स्नान करेंगी और अपने पितरों को जलांजलि देकर उन्हें तृप्त करेंगी. इसके बाद मडुवा रोटी, नोनी का साग, सतपुतिया की सब्जी सहित अन्य कुछ ग्रहण करेंगी और रात में ओठगन करेंगी.

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मिथिला की महिलाएं 17 सितंबर को रखेंगी उपवास

मिथिलांचल और देश के अन्य हिस्सों में रहने वाली मैथिल महिलाएं 16 सितंबर को व्रत को लेकर स्नान करेंगी और 17 सितंबर को उपवास रखेंगी. इसी दिन पूजा-अर्चना करेंगी और व्रत की कथा सुनेंगी. मिथिला पंचांग के अनुसार सप्तमी युक्त अष्टमी के व्रत की महत्ता है. इस दिन दोपहर में 3:06 बजे से अष्टमी लगेगा. इसका समापन रविवार को शाम 4:39 बजे होगा. इसके बाद व्रतधारी पारणा करेंगी.

17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा

शनिवार (17 सितंबर 2022) को देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की जायेगी. इस दिन रात में 10:48 बजे सूर्य की संक्रांति हो रही है. इस दिन सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करेंगे. इस कारण से इस दिन भगवान की पूजा-अर्चना की जायेगी, जबकि अगले दिन सूर्योदय काल से इसका पुण्यकाल शुरू हो जायेगा.

बाजारों में पूजन सामग्री की बिक्री शुरू

बाजारों में व्रत को लेकर पूजन सामग्री की बिक्री शुरू हो गयी है. पूजा के सामानों की दुकानों के अलावा बाजारों में महिलाओं की ओर से इसकी बिक्री की जा रही है. व्रतधारी अपनी जरूरत के हिसाब से इसकी खरीदारी कर रही हैं.

रिपोर्ट- राजकुमार

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