EXCLUSIVE: सत्ता संभालने के सवाल पर बोलीं कल्पना सोरेन- निर्णय आलाकमान को लेना है, जो जवाबदेही मिली, निभा रही हूं

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने प्रभात खबर को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में राज्य की सत्ता संभालने के सवाल पर क्या जवाब दिया?

By Mithilesh Jha | May 14, 2024 10:48 AM

मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद झामुमो की कमान कल्पना सोरेन ने संभाली. वह चुनावी रण में उतरीं और बखूबी मोर्चा भी संभाला. कल्पना सोरेन पार्टी की स्टार प्रचारक और चेहरा बनीं हैं. I.N.D.I.A. के पक्ष में धुआंधार प्रचार अभियान चला रहीं हैं. सभाओं में भीड़ भी उमड़ रही है. वह गांडेय से उपचुनाव लड़ रहीं हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आनेवाले समय में वह मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकती हैं. इन तमाम कयासों, गठबंधन की चुनौतियों, झामुमो की भावी कार्ययोजना सहित कई मुद्दों पर प्रभात खबर के ब्यूरो प्रमुख आनंद मोहन और विशेष संवाददाता सुनील चौधरी ने बातचीत की.

परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि घर की दहलीज से निकल कर आप राजनीति में आयीं. दो-तीन महीने में राजनीति का कैसा अनुभव रहा, कितना हार्ड वर्किंग है?

घर की दहलीज के अंदर पहले से ही राजनीतिक वातावरण रहा है. हमने बहुत करीब से गुरुजी की, बाबा की राजनीतिक सक्रियता देखी. उनके साथ रहते हुए काम करने की तरीका देखा. सारा परिवेश ही ऐसा था. शादी के बाद 17-18 वर्ष मैंने यही देखा है. फिर अचानक से परिस्थिति आती है और हेमंत जी हमारे साथ नहीं होते हैं. चुनाव से ठीक पहले. मुझे राजनीति में आना इसलिए पड़ा कि जितने भी हमारे कार्यकर्ता हैं, उनको मार्गदर्शन और रास्ता दिखाने के लिए कोई तो होना चाहिए था.

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मैं सोरेन परिवार के अंदर रह रही थी. घर की दहलीज पार करने के बाद मुझे लगा कि राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता हेमंत जी से प्यार करती है. उनको आशीर्वाद देती है, सिर-माथे पर बैठा कर रखती है. 2019 में भरपूर जनादेश देकर उन्हें उस जगह बैठाती है. उनका पूरा कार्य भार झारखंड की जनता के विकास के लिए होता है. मुझे यह लगा कि मैं उस परिवार में रही हूं, जिसे साढ़े तीन करोड़ की जनता प्यार करती है. मुझे झारखंड की ऐसी प्यारी जनता से करीब जुटने का, उनको समझने का मौका मिला.

अच्छा यह बताइये, मेरी अभी क्या जवाबदेही है? मैं पार्टी की स्टार प्रचारक हूं. मैं गांडेय से प्रत्याशी हूं. मेरे ऊपर बहुत जिम्मेवारी है. आप ही बताइये, जो भी निर्णय लिया गया है, वो आलाकमान ने लिया है. अब जो आलाकमान का निर्णय रहेगा, वो पार्टी के हरेक व्यक्ति को निभाना है. मुझे जो अभी जवाबदेही मिली हुई है, उसका निर्वहन कर रही हूं. इससे ज्यादा मैं क्या बोल सकती हूं, जिसको डिसाइड करना है, वह डिसाइड करे. हम तो आदेश पालन करनेवाले लोग हैं. चेंज होगा या नहीं होगा, आलाकमान डिसाइड करेगा.

कल्पना सोरेन

हेमंत सोरेन की पत्नी के रूप में आपने वह दिन भी देखा, जब 2019 में उनके नेतृत्व में झामुमो ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया. 30 सीटें मिलीं. और वह दिन भी, जब उनको इडी ने गिरफ्तार कर लिया. दोनों घटना को किस रूप में देखती हैं?

देखिए, परिस्थितियां पहले भी विकट रही हैं. हेमंतजी नेता प्रतिपक्ष भी रहे थे, तो झारखंडवासियों के लिए उन्होंने आवाज बुलंद की. जब लोगों की तकलीफ आप तक पहुंचती है, तो खुद की तकलीफ कम हो जाती है. मैं पूछना चाहती हूं कि हेमंतजी पर ही उंगली क्यों उठायी जाती है? आपको देखना चाहिए कि केंद्र सरकार ने झारखंड के साथ कभी भी अपनापन दिखाया ही नहीं.

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अगर हम मुद्दों की बात करते हैं. मुद्दे हमारे क्या हैं. हमारे मुद्दे हैं कि हम 1932 के खतियान को लागू कराना चाहते हैं, जो होता नहीं है. सरना आदिवासी धर्म कोड लागू करना चाहते हैं, वह होता नहीं है. झारखंड का एक लाख 32 हजार करोड़ केंद्र सरकार के पास है, वह मांगते हैं, तो मिलता नहीं है. जब हम हमारे हक-अधिकार के बारे में आवाज उठाते हैं, वह मिलता नहीं है.

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इसके बावजदू, हेमंत जी झारखंडवासियों के लिए काम कर रहे हैं. इतनी योजनाएं लेकर आ रहे हैं- सर्वजन पेंशन, राशन कार्ड, अबुआ आवास, सावित्री बाई फूले, खेलों की योजना है. झारखंड में योजनाओं की गंगा बह गयी है. झारखंड की आवाज को बुलंद कर रहे हैं, झारखंड के विकास की गाड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं. वैसे मुख्यमंत्री को आप ठीक चुनाव से पहले जेल भेज देते हैं. आपकी मंशा गंदी है.

यह चुनाव हेमंत सोरेन को कितना मिस कर रहा है?

देखिये, हेमंत जी को चुनाव में ज्यादा लोग मिस कर रहे हैं. वह झारखंड का चेहरा हैं. 2019 में लोगों के दिल में हेमंत सोरेन जी का नाम छपा है, क्योंकि हेमंत सोरेन जी उन गरीबों, मजदूरों, पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, जरूरतमंद लोगों की आवाज बने, जिनकी बात सुननेवाला कोई नहीं था. 2019 में जो जनादेश आया था, वह इन्हीं बातों को लेकर आया था कि प्रखरता से बात रखने और काम करने का वादा हेमंत जी ने किया था. उसको वह बखूबी निभा रहे थे.

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पूरा राज्य जनना चाहता है कि झामुमो का नेतृत्व आज कौन कर रहा है?

(हंसते हुए) इसका जवाब मैंने आपको पिछले प्रश्न में ही दे दिया है. झामुमो का नेतृत्व झारखंड की जनता कर रही है.

ये तो बड़ा डिप्लोमेटिक जवाब हुआ.

ये डिप्लोमेटिक नहीं, बहुत ही सही जवाब है. मैं आपको बता दूं कि मैं लोगों के बीच जाती हूं, तो लाेग मुझे हेमंत जी के बारे में पूछते हें. वे पूछते हैं कि जेल में कैसे हैं? लोग बोलते हैं कि पहले हमको यह बताइये, बाकी बात बाद में करेंगे. लोग कहते हैं कि मुझे यह बताइये, बेटा कैसा है? उनकी आंखों में जो दर्द दिख रहा होता है, उससे पता चल जाता है कि वे अपना बेटा ढूंढ रहे हैं. किसी की आंखें अपना भाई ढूंढ रही हैं, तो किसी की आखें अपना दादा ढूंढ रहा है. ये चुनाव नहीं चल रहा है, ये प्यार और आशीर्वाद हेमंत जी के लिए जो मैंने लोगों की आंखों में देखा है, वह चल रहा है. आपके सवाल का जवाब यही है कि झारखंड का नेतृत्व यहां की जनता कर रही है. जैसा कि पार्टी का नाम है, झारखंड मुक्ति मोर्चा. जब हमलोगों ने झारखंड को अलग कराया था, तो झारखंड एक-एक जनता, एक-एक व्यक्ति नेतृत्व कर रहा था.

एनडीए के पास नरेंद्र मोदी जैसे बड़े चेहरे हैं. दो बार की बड़ी जीत उनके पास है. इंडिया गठबंधन की क्या चुनौतियां आप देखती हैं?

ये चुनाव मेरे हिसाब से देखेंगे, तो एक तरफ भाजपा के बड़े नेता हैं, दूसरी तरफ त्रस्त जनता है. इंडिया गठबंधन मजबूत है. झारखंड ही नहीं, पूरे देश की 140 करोड़ जनता यह चुनाव लड़ रही है. यह चुनाव उनके विरोध में जनता लड़ रही है. उन्होंने जो वादे किये थे – भारत में किसानों की आय दोगुनी करेंगे, खातों में 15 लाख पहुंचायेंगे, हर साल दो करोड़ नौकरियां देंगे. वह सारी जुमलेबाजी खत्म हो गयी. पांच साल नहीं, इनको 10 साल दिया गया था. इस 10 साल में जो मौका मिला, उसका जवाब झारखंड ही नहीं, भारत की जनता देनेवाली है.

आप चुनाव में मोर्चा संभाल रहीं हैं. इधर बागियों की संख्या बढ़ रही है. चुनाव में चमरा लिंडा, लोबिन हेंब्रम खड़े हो जाते हैं. बागियों की एक लंबी लिस्ट है. इसको कैसे निबटेंगी?

झामुमो के संगठन में झारखंड की जनता का ही साथ है. झामुमो का मजबूत स्तंभ ही झारखंड की जनता है. पार्टी लाइन से विरोध कर जानेवालों को झारखंड की जनता जवाब देती है. मतदान हमारे झारखंड के लोगों को करना है. झारखंड के लोगों को पता है कि झामुमो जिसके पास तीर-धनुष छाप है, इंडिया गठबंधन के साथ लड़ रहा है. पार्टी लाइन से विरुद्ध होकर कोई जाता है, तो उसको झारखंड की जनता मुंहतोड़ जवाब देगी.

ये तो संगठन की बात हो गयी, लेकिन घर के अंदर भी विवाद सामने आया. सीता सोरेन पार्टी छोड़कर चली गयीं.

मैं छोटी बहन के नाते हूं. उनका यह व्यक्तिगत निर्णय था. हमलोगों को, आपलोगों को भी यह सम्मान देना चाहिए कि उनका व्यक्तिगत निर्णय है और हमें उसे कुरेदना नहीं चाहिए. मैं उनकी छोटी बहन हूं. मैं शुभकामनाएं देती हूं. उनकी इच्छा जहां थी, वह उनका निर्णय था.

आपका दिल बड़ा है, शुभकामनाएं दे रहीं हैं, लेकिन चुनाव प्रचार में परिवार का विवाद सामने आ रहा है. सीता सोरेन अपनी पीड़ा बता रही हैं. आपलोगों पर आरोप लग रहे हैं?

देखिए. पूरे देश में मुद्दों की बात होनी चाहिए. अभी ये चुनावी मुद्दे गायब हो रहे हैं. हमारा मुद्दा क्या होना चाहिए था- बेरोजगारी, महंगाई, 1932 का खतियान, सरना आदिवासी धर्म कोड, बार-बार पैसा केंद्र से मांगना, किसानों की आय. मुद्दे बहुत हैं, मुदों की बात होनी चाहिए. जुमलेबाजी नहीं होनी चाहिए.

विपक्ष लगातार भ्रष्टाचार पर इंडिया गठबंधन के नेताओं को घेर रहा है. उनका कहना है कि इडी की कार्रवाई में पैसे भी मिल रहे हैं. हाल ही में मंत्री आलमगीर आलम के पीए के नौकर के यहां 30 करोड़ रुपये से अधिक मिले हैं. आप क्या कहना है इस पर?

देखिये भ्रष्टाचार के ऊपर हेमंतजी का हमेशा कड़ा प्रहार रहा है. ये भ्रष्टाचार के जो मुद्दे उठते हैं, इसे लेकर हेमंत जी या उनकी सरकार हमेशा इसके खिलाफ रही है. जो भी दोषी हैं, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.

सोहराय प्राइवेट लिमिटेड, हरमू में सोहराय भवन को लेकर विपक्ष गड़बड़ी का आरोप लगाता रहता है. आखिर क्या मामला है ये?

जिसने गड़बड़ी करायी थी, आप उन्हीं से सवाल पूछ लीजिये. भाजपावाले लोग पूरे देश के भाजपा शासित राज्यों के नेताओं पर एक भी सवाल नहीं उठाते हैं. ये उन्हीं राज्यों और उन्हीं लोगों पर क्यों उठाये जाते हैं, जो उनके खिलाफ हैं? ये रोजगार का मुद्दा तो नहीं उठाते, महिलाओं पर अत्याचार का मुद्दा तो नहीं उठाते. हमको हमारा हिस्सा नहीं देकर दूसरे राज्यों को देते हैं. यही आवाज जब हेमंत जी उठा रहे थे, तो हेमंतजी दोषी हो गये और ऐन चुनाव के पहले आपने हेमंतजी को जेल में डाल दिया. आप अपने काम खुद से नहीं कर सकते हैं. पहले आप 10 साल का रिपोर्ट कार्ड हमें दिखायें. उसके बाद जनता के बीच जाकर उनको बतायें कि हमने 10 साल क्या काम किया है.

जानिए, कल्पना सोरेन को उन्हीं की जुबानी

मेरे पिताजी रिटायर्ड आर्मी अफसर हैं. चूंकि मेरा जीवन आर्मी बैकग्राउंड में ही बीता है. जीवन उस समय भी संघर्षमय ही था. पिताजी की पोस्टिंग बॉर्डर लाइन पर ही रहती थी. ऐसे में माताजी हम दो बहनों को लेकर अकेली ही रहती थीं. आप ये समझ सकते हैं कि जो देश के लिए काम कर रहा होता है, उसका परिवार भी बहुत संघर्ष कर रहा होता है. बचपन से बहुत समय हमलोगों ने अपनी मां के साथ ही बिताया है. उनके साथ रहे हुए ही हमारी शिक्षा-दीक्षा हुई है. मैं केवी की स्टूडेंट रही हूं. हमेशा पिताजी का तबादला होता रहता था, इसलिए मुझे भारत के हर कोने में घूमने का मौका मिला. वहां की कला-संस्कृति को जानने का मौका मिला. ये सब होते हुए हमलोग ओडिशा आ गये. वहीं से मैंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद इंजीनियरिंग की.

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मेरे पिता श्रीलंका की शांति सेना में भी योगदान दे चुके हैं. अमरनाथ यात्रा में भी उनकी ड्यूटी रही है. कहीं न कहीं देशभक्ति हमारे अंदर बचपन से ही आ गयी है. इतने प्रांत के लोगों से जुड़े रहे थे कि किसी दिन मक्के की रोटी और सरसों का साग खा रहे हैं, तो अगले दिन इडली-डोसा खा रहे हैं. दूसरी तरफ हम सोचते हैं कि अरे! यहां महाराष्ट्र की लाल वाली चटनी मिल रही है. डायवर्सिटी को हमने नजदीक से देखा है. मेरा जन्म पंजाब में हुआ, जबकि मेरी बहन का जन्म कोलकाता में हुआ था. आप कह सकते हैं कि पूरे भारत की संस्कृतियों का हमारे परिवार में समागम है. दर्शन, खान-पान से लेकर पूजा-पाठ से लेकर हर चीज.

हमारे स्कूल की डायरी की एक कविता की लाइन होती थी ‘हिंद देश के निवासी हम सभी जन एक हैं. रंग-रूप, वेष-भूषा चाहे भाषा अनेक हैं….’ तो उस जीवन को मैंने जीया है. देशभक्ति बचपन से ही है. शादी के बाद जब यहां आयी, तो बाबा का राजनीतिक जीवन देखा. अपने पति को देखा किस तरह वह सभी लोगों के साथ समावेश करते हैं. क्रिसमस होता है, तो चर्च जाते हैं. ईद में मस्जिद जाते हैं और मंदिर में पूजा-पाठ में भी शामिल होते हैं. शिव बरात में भी जाते हैं. आप कह सकते हैं कि शादी के पहले हो या शादी के बाद, मेरे जीवन में हर धर्म, हर प्रांत, हर संस्कृति का जुड़ाव ऐसे ही हो चुका है. आप देखेंगे कि हेमंतजी हों या मैं, हमलोग हर धर्म, हर त्योहार बड़ी खुशी से मनाते हैं. मनाने का यही मजा है कि यूनिटी इन डायवर्सिटी, जो हमारे हिंदुस्तान का मूल मंत्र है. मैं अपने आपको भाग्यशाली मानती हूं कि बचपन से ही मुझे ये मिला और आज अपने बच्चों को भी यही बता रही हूं.

चंपाई सोरेन पर क्या कहा कल्पना ने

वे हमारे सीनियर लीडर हैं. उन्होंने विकट परिस्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. पार्टी का कार्यकर्ता होता है, वह जीवन भर रहता है. उन्होंने तो परिपक्वता दिखायी है. हेमंत जी के कार्यकाल में जितनी भी योजनाएं थीं, उन सभी को आगे बढ़ा रहे हैं. मौजूदा समय में चल रहे चुनाव के दौरान प्रचार-प्रसार भी बहुत अच्छा कर रहे हैं.

  • संगठन के बागियों पर : पार्टी लाइन से विरोध कर जानेवाले को झारखंड की जनता जवाब देती है.
  • सीता सोरेन पर : मैं छोटी बहन के नाते हूं. उनका यह व्यक्तिगत निर्णय था. हमलोगों को, आपलोगों को भी यह सम्मान देना चाहिए कि उनका व्यक्तिगत निर्णय है और हमें उसे कुरेदना नहीं चाहिए.
  • भ्रष्टाचार पर : सरकार हमेशा इसके खिलाफ रही है. जो भी दोषी हैं, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.

कल्पना सोरेन के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू की खास बातें

  • यह चुनाव मेरे हिसाब से देखेंगे, तो एक तरफ भाजपा के बड़े नेता हैं, दूसरी तरफ त्रस्त जनता है. इंडिया गठबंधन मजबूत है.
  • हेमंत जी को चुनाव में ज्यादा लोग मिस कर रहे हैं. वे झारखंड का चेहरा हैं. 2019 में लोगों के दिल में हेमंत जी का नाम छपा है, आज तक है.
  • झामुमो का नेतृत्व झारखंड की जनता कर रही है.
  • लोगों की आंखों में मैंने दर्द देखा है. कोई उन आंखों से अपना बेटा, तो भाई और दादा ढूंढ़ता है.

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