हेमंत जेल में हैं, पर क्या आदिवासी को प्रकृति प्रेम से दूर किया जा सकता है : कल्पना सोरेन

कल्पना सोरेन ने अपने दोनों पुत्र नितिल सोरेन और विश्वजीत सोरेन की तस्वीर एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि तानाशाही ताकतों के षड्यंत्र के कारण हेमंत जी आज जेल में हैं. मगर आदिवासी को प्रकृति प्रेम से कभी दूर किया जा सकता है क्या?

By Prabhat Khabar News Desk | April 12, 2024 12:06 AM

रांची. कल्पना सोरेन ने अपने दोनों पुत्र नितिल सोरेन और विश्वजीत सोरेन की तस्वीर एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि तानाशाही ताकतों के षड्यंत्र के कारण हेमंत जी आज जेल में हैं. मगर आदिवासी को प्रकृति प्रेम से कभी दूर किया जा सकता है क्या? कभी नहीं. प्रकृति सर्वोपरि है. प्रकृति का वृहद स्वरूप अपने संघर्षी योद्धा हेमंत जी को अपना अथाह स्नेह और आशीर्वाद दें. उन्होंने मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के साथ अपने दोनों पुत्रों को सरहुल समारोह में भेजा था. कल्पना ने लिखा है कि जैसे ही सखुआ के पेड़ों पर फूल खिलने लगते हैं, हमें एक बार फिर प्रकृति के अमूल्य उपहारों का आभार व्यक्त करने का पवित्र अवसर मिलता है. पीढ़ियों से, सरहुल हमारे लिए, जल, जंगल, जमीन की रक्षा करनेवाले हमारे पूर्वजों को याद करने का पावन पर्व भी रहा है. इस दिन हम पूजा करने के साथ-साथ सुंदर फूलों से आच्छादित सखुआ के पेड़ के नीचे एकत्रित होकर भोज करते हैं, हर्षोल्लास से नाचते-झूमते हैं और सभी की खुशहाली की कामना करते हैं. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में, हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए. सखुआ (शाल) का पेड़ केवल एक प्राचीन प्रतीक ही नहीं है – बल्कि इसके पत्ते, फूल और लकड़ी हमारे खाद्य, औषधीय और जीवन-उपयोगी सामग्री के अमूल्य स्रोत भी हैं. सरहुल का पर्व मनाकर, हम प्रकृति की रक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पुनः दोहराते हैं. उन्होंने पूरे देशवासियों को सरहुल पर्व की शुभकामाएं दी है.

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