कांची नदी पर बने पुल धंसने के मामले में 2 साल बाद भी कार्रवाई नहीं, दोषियों के नाम अब तक नहीं भेजा गया
लापरवाही का आलम यह है कि जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी है, अब तक उनके नाम भी ग्रामीण कार्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह को नहीं भेजे गये हैं
सोनाहातू कांची नदी पर बने हराडीह-बूढ़ाडीह पुल धंसने से राज्य सरकार को करोड़ों की क्षति हुई, लेकिन अब तक इसके मामले के दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इस मामले में विशेष प्रमंडल के इंजीनियरों (कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता और कनीय अभियंता) के अलावा पुल का निर्माण करानेवाले ठेकेदार को भी जांच के दायरे में रखा गया था.
इधर, लापरवाही का आलम यह है कि जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी है, अब तक उनके नाम भी ग्रामीण कार्य विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह को नहीं भेजे गये हैं. जबकि, दिसंबर 2022 में ही उन्होंने दोषी इंजीनियरों के नाम मांगे थे.
ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल की ओर से ‘मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना’ के तहत कांची नदी पर हराडीह-बूढ़ाडीह पुल बनया गया था. मेसर्स एनके पांडेय कंस्ट्रक्शन ने वर्ष 2014-15 में इस पुल का निर्माण कार्य शुरू किया, जबकि यह वर्ष 2017-18 में बन कर तैयार हुआ. पुल की लागत करीब 13 करोड़ रुपये थी. तीन साल बाद मई 2021 में ‘यास’ तूफान के कारण कांची नदी में अचानक बाढ़ आ गयी, जिससे पुल धंस गया.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसे गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच के निर्देश दिये थे. इसके बाद ही तत्कालीन ग्रामीण कार्य विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनायी थी. कमेटी में दो-दो मुख्य अभियंता भी थे.
लेकिन, काफी लंबे समय तक इसकी जांच नहीं हुई. बताया गया कि नदी में पानी ज्यादा था, इसीलिए टीम ने जांच नहीं कर सकी. नदी में पानी कम होने पर जांच करायी गयी. मौके पर पहुंची इंजीनियरों की टीम ने पाया कि घटिया निर्माण की वजह से पुल धंसा था. इंजीनियरों के स्तर से भी निर्माण कार्य की निगरानी नहीं की गयी. ऐसे में ठेकेदार ने मनमुताबिक काम कराया था.