कांके विधायक समरी लाल को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जाति प्रमाण पत्र रद्द करने का आदेश निरस्त
अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि प्रार्थी के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने के पूर्व माधुरी पाटिल के जजमेंट के अनुसार विजिलेंस कमेटी से जांच नहीं करायी गयी.
जाति प्रमाण पत्र रद्द करने के मामले में कांके विधानसभा क्षेत्र के विधायक समरी लाल को झारखंड हाइकोर्ट से फिलहाल बड़ी राहत मिल गयी है. हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने राज्य सरकार की जाति छानबीन समिति द्वारा समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया.
अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि प्रार्थी के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने के पूर्व माधुरी पाटिल के जजमेंट के अनुसार विजिलेंस कमेटी से जांच नहीं करायी गयी. इस मामले में उचित प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया गया है. इसलिए आदेश को निरस्त करते हुए मामले को वापस (रिमांड बैक) राज्य सरकार के पास भेजा जाता है.
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मामले को सरकार के पास रिमांड बैक कर रहे हैं. सरकार विजिलेंस कमेटी बना कर नियमानुसार समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र की जांच करा सकती है. यदि विजिलेंस कमेटी की रिपोर्ट में यह बात आती है कि उन्हें जो जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया है, वह सही है, तो यह मामला उसी स्टेज में ड्रॉप कर दिया जायेगा.
10 जनवरी को मामले की सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. मंगलवार को अदालत ने उक्त फैसला सुनाया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा व अधिवक्ता कुमार हर्ष ने पक्ष रखा था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उदाहरण देते हुए बताया गया कि माधुरी पाटिल जजमेंट के तहत जाति छानबीन समिति का गठन किया गया है, उसमें प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. विजिलेंस कमेटी से जांच नहीं करायी गयी, जिसे जजमेंट में कहा गया है. वहीं, प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पैरवी की थी.
अदालत में प्रार्थी के वकील का पक्ष
समरी लाल के पूर्वज 1928 में झारखंड आये थे, जब वह बिहार का हिस्सा था. उस समय से उनका परिवार झारखंड में रह रहा है. वह यहां के मूल निवासी हैं. स्थानीय जांच के आधार पर उन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया गया है. ऐसे में राज्य जाति छानबीन समिति उनके जाति प्रमाण पत्र पर सवाल नहीं उठा सकती है.
क्या है मामला :
राज्य सरकार ने कांके के विधायक समरी लाल के अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र की जांच करायी थी. इसके लिए राज्य जाति छानबीन समिति गठित की गयी थी. समिति ने सीआइ की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए एक अप्रैल 2022 को समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया था. कहा गया कि समरी लाल यह साबित करने में विफल रहे कि वे झारखंड के मूल निवासी हैं. इस आधार पर उनका जाति प्रमाण पत्र रद्द किया जाता है. इस मामले में समरी लाल ने रिट याचिका दायर की थी.