रांची : कांटाटोली फ्लाइओवर का डिजाइन एक बार फिर बदलेगा. अब फ्लाइओवर का विस्तार बहुबाजार चौक से आगे तक किया जायेगा. फ्लाइओवर निर्माण के लिए आधुनिक तकनीक ‘सेगमेंट बॉक्स गर्डर सिस्टम’ का इस्तेमाल किया जायेगा. चूंकि फ्लाइओवर बना रही कंपनी मोदी कंस्ट्रक्शन को इस प्रणाली पर काम करने का अनुभव नहीं है, इसलिए उनके साथ किया गया एकरारनामा बंद करने का फैसला किया गया है. नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने एक सप्ताह के अंदर एकरारनामा बंद करने का निर्देश दिया है.
जुडको के अधिकारियों के साथ गुरुवार को बैठक करते हुए सचिव ने कहा कि केवल कांटाटोली फ्लाइओवर का निर्माण होने से बहुबाजार चौक पर लगनेवाले जाम का समाधान नहीं होगा. फ्लाइओवर को बहुबाजार चौक से आगे बनस तालाब तक बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने फ्लाइओवर का निर्माण आधुनिक तकनीक ‘सेगमेंट बॉक्स गर्डर सिस्टम’ से कराने का निर्देश दिया. कहा कि नये सिरे से कार्य शुरू कराने के लिये नये परामर्शी और संवेदक बहाल करने की प्रक्रिया शुरू की जाये. नयी तकनीकी के आधार पर ही फ्लाइओवर का संशोधित डिजाइन और डीपीआर तैयार कराया जाये.
वर्तमान में कांटाटोली फ्लाइओवर का निर्माण बहुबाजार की ओर वाइएमसीए से लेकर कोकर की ओर शांति नगर तक हो रहा था. फ्लाइओवर की कुल लंबाई 1260 मीटर थी. अब तक 132 पाइल की कास्टिंग हो चुकी है. 19 खंभों में दो पाइल कैप और एक पीयर की भी कास्टिंग की जा चुकी है. बैठक में सचिव को यह जानकारी देते हुए जुडको के परियोजना निदेशक तकनीकी रमेश कुमार ने कहा कि कांटाटोली फ्लाइओवर के विस्तार के लिए फिजिबिलिटी और गुण-दोष का आकलन किया जा रहा है.
बरसात तक सभी कागजी प्रक्रिया पूरी कर काम शुरू करा दिया जायेगा. जुडको द्वारा सर्वे शुरू कर दिया है. बैठक में पीडीटी के अलावा महाप्रबंधक वीरेंद्र कुमार, सहायक महाप्रबंधक सुशील कुमार व उप परियोजना प्रबंधक प्रत्युष आनंद उपस्थित थे.
एनएच-23 पर रांची से बेड़ो के बीच पिस्का के निकट अब रेल ओवरब्रिज (आरओबी) का निर्माण होगा. यहां पर करीब 32 करोड़ की लागत से आरओबी बनाया जायेगा. केंद्र सरकार ने इस नये एस्टिमेट को स्वीकृति दे दी है. इस आरअोबी के निर्माण का प्रयास लंबे समय से चल रहा था. मामला योजना लागत में वृद्धि के कारण लटका था. ऐसे में इसका एस्टिमेट बढ़ाने का आग्रह केंद्र सरकार से किया गया. केंद्र की स्वीकृति के बाद अब निर्माण की दिशा में एनएचएआइ आगे की कार्रवाई में जुट गया है.
अब तक कांटाटोली फ्लाइओवर का निर्माण पीएससी-आइ गर्डर प्रणाली से किया जा रहा था. आमतौर पर इस प्रणाली के तहत रात में कार्य कर गर्डर को प्रीकास्ट कर क्रेन के सहयोग से खंभे पर रखा जाता है. डेक स्लैब की कास्टिंग कार्यस्थल पर ही होती है. इससे यातायात प्रभावित होता है.
वहीं, सेगमेंटल बाॅक्स प्रणाली में प्रस्तावित फ्लाइओवर के मध्य लाइन पर विशेष लांचर के जरिये छोटे प्रीकास्ट सेगमेंट कर आगे बढ़ाया जाता है. बड़े शहरों में इसी तकनीक का प्रयोग कर फ्लाइओवर बनाया जाता है. इससे यातायात प्रभावित किये बिना तेजी से काम होता है.
22 जुलाई 2016 को कांटाटोली फ्लाइओवर निर्माण के लिए 5170.12 लाख रुपये व योजना के कार्यान्वयन के लिए 14048.87 लाख रुपये की लागत पर भूमि अधिग्रहण यानी कुल 19218.99 लाख रुपये की योजना की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी थी. योजना का डीपीआर मेकन लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया था. इसके बाद मेकन द्वारा दोबारा योजना के लिए संशोधित डीपीआर तैयार किया गया.
फ्लाइओवर निर्माण के लिए मूल डीपीआर की राशि बढ़ कर 82.14 करोड़ हो गयी. जो मूल डीपीआर की राशि से 100 प्रतिशत से भी अधिक है. अब तक राशि बढ़ाने से संबंधित निर्णय नहीं हो सका है. इस कारण सितंबर 2019 से कांटाटोली फ्लाइओवर के निर्माण का कार्य पूरी तरह से ठप है. फ्लाइओवर के लिए कुल 19 पिलर का निर्माण होना था, जिसमें अब तक केवल दो पिलर ही कुछ लंबाई तक खड़े हो सके हैं.
Post by : Pritish Sahay