Exclusive: क्यों और कैसे मनाया जाता है करम पर्व ? जानें क्या कहते हैं सरना समाज के धर्मगुरू बंधन तिग्गा

करम पर्व क्यों मनाया जाता है. इसकी तैयारी कैसे और कितने दिन पूर्व से शुरू हो जाती है. इन सारे सवालों के जवाब तलाशने के लिए प्रभात खबर के प्रतिनिधि समीर उरांव सरना समाज के धर्मगुरू बंधन तिग्गा से खास बातचीत की है.

By Sameer Oraon | September 21, 2023 2:54 PM
an image

रांची : करम पर्व झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से में एक है. इस साल यह पर्व 25 सितंबर को मनाया जाएगा. इस पर्व को न सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोग धूमधाम से मनाते हैं बल्कि गैर आदिवासी लोग भी इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. यूं तो सभी लोग इस पर्व को भाई बहन का त्योहार के रूप में मनाते हैं, जहां बहन अपने भाई की लंबी उम्र के लिए दुआ मांगती है. लेकिन बहुतों को ये नहीं पता होगा है कि यह पर्व क्यों मनाया जाता है. इसकी तैयारी कैसे और कितने दिन पूर्व से शुरू हो जाती है. इन सारे सवालों के जवाब तलाशने के लिए प्रभात खबर डॉट के प्रतिनिधि समीर उरांव ने सरना समाज के धर्मगुरू बंधन तिग्गा से खास बातचीत की है.

क्यों मनाया जाता है करम पर्व ?

करम पर्व सृष्टि का पर्व है. ये समस्त मानव, जीव जंतुओं का पर्व है. क्योंकि इस संसार में कर्म ही धर्म है. धर्म ही कर्म है. हम आदिवासी प्राकृति को ही आराध्य देव और भगवान मानते हैं. हम आदिवासी समुदाय का मानना है कि करमा का वृक्ष 24 घंटा ऑक्सीजन देता है. यही कारण है कि हम आदिवासी करम वृक्ष को आराध्य देव के रूप में मानते हैं और उसे हम अपने आंगन या घर में लाकर उसकी पूजा करते हैं. प्राकृति के साथ हमारा गहरा संबंध है. ये कहना गलत नहीं होगा कि हम एक दूसरे के पूरक हैं. प्राकृति के बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं है.

Also Read: करमा पूजा में जावा उठाने की परंपरा बेहद खास, लोकगीत की गूंज के साथ 7 दिनों तक धूमधाम से मनेगा प्रकृति पर्व

जिस तरह सूर्य का काम निरंतर प्रकाश देना है, पेड़ का काम हमें फल और छाया देना है उसी तरह हम मानते हैं कि कर्म और धर्म एक सिक्के के दो पहलू हैं. हम आदिवासी करम पर्व में पाप और पुण्य, सत्य, असत्य को अपने आराध्य देव करम वृक्ष के रूप में स्वीकारते हैं. और उससे जो अलौकिक शक्तियां निकलती है, जिसे हम सरना मां या धर्मेश कहते हैं. उसमें हम उनके स्वरूप को देखते हैं. क्योंकि वो संसार के किसी भी जीव जंतुओं से बैर नहीं करता है. ये करम पर्व न सिर्फ आदिवासियों का पर्व है बल्कि ये सृष्टि का भी पर्व है. आदिवासी किसी भी काल्पनिक कहानियों या मूर्ति, फोटो पर विश्वास नहीं करते हैं.

करम पूर्व की तैयारी कितने दिन पूर्व और कैसे शुरू होती है ?

करम पूर्व की तैयारी तो हमलोग महीनों से करते हैं. लेकिन इससे पूर्व गांव के सभी लोग चाहे वो लड़के हो या लड़कियां बूढ़ा बुजुर्ग अखाड़े में आते हैं इसकी योजना बनाते हैं. अखाड़े की सजावट से लेकर साफ सफाई तक, एक-एक चीज को वहां ध्यान दिया जाता है. लेकिन खास करके जो हमलोग जावा रखते हैं उसकी तैयारी हमलोग 9 पहले ही शुरू कर देते हैं. लेकिन जावा रखने के लिए उपवास करने वाली महिलाएं संगी गांव से बालू लेकर आती है. जिसमें 9 तरह की फसलों के बीज रखा जाता है. और लगातार उस हल्दी का छिड़काव करते रहते हैं ताकि उसकी पवित्रता बनी रहे. और जावा जब जन्मता है तब लोग मानते हैं कि धर्म की स्थापना हो गयी है. करमा के एक दिन पहले लोग खाते पीते हैं. उसके बाद दूसरे दिन गांव के लड़के जंगल जाते हैं फिर करम वृक्ष के चारों ओर उसकी परिक्रमा करते हैं और फिर इसके बाद वहां पर धूप धुवन जलाते हैं और फिर तीन डाली काटकर लाते हैं. फिर शाम को विधिवत प्रार्थना करके करमा डाली को गाड़ते हैं.

Exit mobile version