Karma Puja 2024: डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में जाउआ उठा, ‘जाउआ माई’ करती हैं ये परहेज

Karma Puja 2024: करम पूजा का आयोजन 14 सितंबर को किया जाएगा. इसे लेकर चारों तरफ उल्लास है. रांची के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में रविवार को 'जाउआ उठा' नेग किया गया. 'जाउआ माई' इसके लिए कई तरह के परहेज करती हैं.

By Guru Swarup Mishra | September 8, 2024 4:53 PM

Karma Puja 2024: रांची-14 सितंबर को झारखंड की प्रसिद्ध करम पूजा है. इसे लेकर आज रविवार को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीएमयू) के कुड़माली विभाग की ओर से ‘जाउआ उठा’ नेग किया गया. इसे 7 दिन का ‘जाउआ उठा’ कहा जाता है. कुड़मी समाज एवं कुड़माली संस्कृति में करम पूजा भादो महीने की एकादशी (11वीं) के दिन करम डाली की पूजा कर मनायी जाती है. इसके पहले 9, 7 या 5 दिन पूर्व ही जाउआ को लड़कियों द्वारा उठाया जाता है. इसे उठाने के पूर्व के दिन के अनुसार उतने भिन्न प्रकार के बीजों को बालू में अंकुरित करने के लिए दिया जाता है. कुड़माली विभाग में 7 दिन का जाउआ उठाया गया.

ऐसे तैयार कर उठाया जाता है जाउआ

सात भिन्न-भिन्न बीज (कुरथि, जनहाइर, बिरहि, मुंग, जअ, मटर, बुट) को पारंपरिक विधि-विधान के अनुसार सर्वप्रथम सरसों तेल एवं हल्दी में मिलाया गया. फिर जाउआ डाली में इसे तीन परत में बुना गया. पहले परत में बाली दी गयी, फिर इन बीजों को बुना गया, फिर बाली से ढंका गया. जिस डाली में जाउआ उठाया गया, उससे लड़कियों द्वारा सिंदूर एवं काजल का टीका दिया गया और इसको प्रणाम कर उठाया गया.

जाउआ माई उठाती हैं जाउआ डाली

कुड़माली भाषा में जाउआ उठा पुरखा नृत्य-गीत किया गया. जाउआ उठाने का कार्य सुबह से बिना खाए-पीए लड़कियों द्वारा किया जाता है. जो लड़कियां जाउआ उठाती हैं, उसे ‘जाउआ माई’ कहा जाता है और जिस डाली में इसे उठाया जाता है, उसे ‘जाउआ डाली’ कहा जाता है.

कुंवारी लड़कियां मनाती हैं जाउआ पर्व

कुड़मी समाज एवं कुड़माली संस्कृति में जाउआ पर्व का सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व है. इसे शादी के पूर्व किया जाता है. इसमें कुंवारी लड़की को बच्चा होने के पूर्व मातृत्व का एहसास होता है. वह एक बच्चा का लालन-पालन जिस तरीके से करती है, उसी तरीके से इस जाउआ को भी करती है. इसलिए करम डाली की पूजा के पूर्व तक कई परहेज में जाउआ माई रहती हैं. गुड़, खट्टा, तीता, दूध, दही, भोजन में ऊपर से नमक लेकर खाने की मनाही रहती है. इस अवसर में कुड़माली विभाग में अध्ययनरत यूजी-पीजी एवं पूर्ववर्ती छात्रा-छात्राओं के साथ विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ निताई चंद्र महतो उपस्थित थे.

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