Karma Puja: करम परब की पूर्व संध्या पर मोरहाबादी में दिखी आदिवासी संस्कृति
Karma Puja: झारखंड में शुक्रवार को करम परब की पूर्व संध्या का आयोजन किया गया. रांची समेत राज्य के अलग-अलग जिलों में आदिवासी संस्कृति जीवंत हो उठी.
Karma Puja: करम परब झारखंड के सबसे महत्वपूर्ण उत्सवों में एक है. भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है यह पर्व. भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना के लिए बहनें करम पर्व मनाती हैं. व्रत रखतीं हैं.
पूरे झारखंड ही नहीं, बल्कि उन तमाम राज्यों में करम पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जहां आदिवासी रहते हैं. करमा को कुड़मी समाज का त्योहार माना जाता है, लेकिन धीरे-धीरे अब अन्य आदिवासी समुदायों में भी यह लोकप्रिय हो गया है.
झारखंड की राजधानी रांची के मोरहाबादी में करम पूर्व संध्या की परंपरा है. इस बार भी मोरहाबादी के दीक्षांत मंडप में करम पूर्व संध्या का आयोजन किया गया. इसमें रांची विश्वविद्यालय की छात्राओं ने लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनकर जमकर नृत्य किया.
लाल बॉर्डर की सफेद साड़ी और लाल ब्लाउज पहनी युवतियों ने सिर सिर पर कास के फूल भी लगा रखे थे. इन युवतियों ने मोरहाबादी दीक्षांत मंडप में आदिवासी संस्कृति को जीवंत कर दिया. मांदर की थाप पर घंटों नृत्य का दौर चला. रांची के अलावा झारखंड के अन्य जिलों में भी करम पूर्व संध्या का आयोजन हुआ.
केंद्रीय सरना समिति शनिवार को धनबाद के झारखंड मैदान में करम महोत्सव का आयोजन करेगा. शाम में परवैतीन व अन्य लोगों का जुटान होगा. भाई नियम से करम डाल लाकर बहनों को देंगे. बहनें उसे स्थापित कर उसकी पूजा करेंगी. उसके बाद जवैती दल पारंपरिक नृत्य करेंगे. कार्यक्रम के बाद प्रसाद वितरण किया जायेगा.
लातेहार जिले में लोगों ने पुलिस और प्रशासनिक पदाधिकारियों से करमा के दौरान प्रबुद्ध लोगों व पंचायत प्रतिनिधियों से टोले-मोहल्ले में निगरानी रखने की अपील की है. पूजा के दूसरे दिन करमा डाली का विसर्जन होता है. इसमें कोई डूबे नहीं, इसके मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए.
गुमला के सिसई बाजारटांड़ स्थित केंद्रीय सरना स्थल पर करम पूर्व संध्या कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसमें 25 गांवों के खोड़हा दल की टीमों ने भाग लिया और करमा गीत व नृत्य प्रस्तुत किए. गीत, संगीत व नृत्य आदिवासियों की सभ्यता व संस्कृति है, जो पूर्वजों से मिली है.
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