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कैसे मनाते है करम पर्व
करम पर्व मनाने से पूर्व युवतियां बालू उठाने के लिए नदी या तालाब में जाती हैं. इसस पहले वे अखड़ा में नृत्य करती हैं. इसके बाद वे नहा-धोकर एक जगह इकट्ठा होती हैं और नृत्य करते हुए नदी से स्वच्छ महीन बालू उठाती हैं. जिसे नयी डाली में भरकर लाती है. उसमें सात प्रकार के अनाज बोती है. जैसे- जौ, गेहूं, मकई, धान, उरद, चना, कुलथी आदि और इसे किसी स्वच्छ स्थान पर रख देती हैं. दूसरे दिन से रोज धूप, धूवन द्वारा पूजा-अर्चना कर हल्दी पानी से सींचती है. चारों और युवतियां गोलाकार होकर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर जावा जगाने का गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं
Happy Karma Puja : करमा का इतिहास
आपको बता दें कि झारखंड में पेड़-पौधे को पूजने की परंपरा सदियों से है. यह सच भी है हम प्रकृति के साथ तालमेल करके ही चलना चाहिए. हमारे पूर्वजों या आदिमानवों ने जब प्रकृति के उपकार को समझा तब से प्रकृति को श्रद्धा भाव से देखा जाने लगा. जैसे सरहुल में सखुआ फूल को पूजा जाता है, ठीक वैसे ही करम में करम डाली की पूजा की जाती है. पौराणिक ग्रंथों में भी इसकी चर्चा की गयी है. उनमें, वनस्पत्यै नम: वनस्पतियों को नमन करने की सलाह दी गयी है.
Karma Puja ki Hardik Shubhkamnaye : पर्व का मुख्य उद्देश्य
ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को भाइयों और बहनों के लिए मनाया जाता है. इसके अलावा यह प्रकृति का भी प्रतिक है. बहनें अपने भाईयों के सुख-समृद्धि और दीर्घायु होने की कामना इस दिन करती हैं. इसके अलावा झारखंड के लोगों की परंपरा रही है कि धान रोपाई हो जाने के बाद इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है.
कब और कहां-कहां मनाया जाता है ये पर्व
कोरोना और लॉकडाउन के बीच 29 अगस्त दिन शनिवार को करमा पर्व झारखंड समेत अन्य राज्यों में मनाया जाएगा. हर वर्ष यह पर्व भादो महीने के शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाया जाता है. झारखंड के अलावा इसे बंगाल, असम, ओड़िशा तथा छत्तीसगढ़ और बिहार के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है.
Posted By : Sumit Kumar Verma