karma puja jharkhand 2022: करमा आदिवासियों के महानतम पर्वों में एक है. इस बार करमा पर्व सितंबर के महीने में (karma puja kab hai) मनाया जा रहा है. महान पर्व में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों की झलक दिखती है. बहनें भाई की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. करमा पर्व से जुड़ी कई कहानियां (karma puja story) और किंवदंतियां हैं.
एक समय की बात है. झारखंड प्रांत में करमा और धरमा दो भाई रहते थे. करमा लोगों को कर्म का महत्व बताता था. धर्मा लोगों को शुद्ध आचरण करने और धार्मिक जीवन जीने का रास्ता बताता था. करम को लोग देव स्वरूप मानते थे. उन्हें खुश करने के लिए लोग उनकी पूजा-अर्चना करते थे. हर साल उनके सामने नृत्य भी करते थे. उसी परंपरा को आज भी लोगों ने बनाये रखा है. उसी तर्ज पर आज भी लोग करमा का त्योहार मनाते हैं.
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झारखंड की कुछ जनजातियों का मानना है कि कर्मी नामक वृक्ष पर कर्मसेनी देवी (Karmaseni Devi) रहती हैं. यदि उन्हें प्रसन्न कर लिया जाये, तो घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. देवी को खुश करने के लिए ही लोग घर में करम वृक्ष (Karam Tree) की डाली गाड़कर उसकी पूजा करते हैं. रात भर लोग नाचते-गाते हैं.
झारखंड (Jharkhand) से सटे छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में अलग-अलग जिलों की अलग-अलग जनजातियों का मानना है कि करम पर जब विपत्ति आन पड़ी, तो उसने अपने ईष्ट देव को मनाने के लिए पूरी रात नृत्य किया. इसके बाद उसकी विपत्ति दूर हो गयी. इसलिए इस त्योहार में लोग रात भर नाचते हैं.
छत्तीसगढ़ में रहने वाली उरांव जनजाति (Oraon Tribe) की मान्यता है कि करम देवता की पूजा करने से फसल अच्छी होती है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए ही लोग रात भर नृत्य करते हैं.
आदिवासियों के धार्मिक ग्रंथों और लोक कथाओं के अनुसार, करमा पूजा की शुरुआत पिलचू बूढ़ी (प्रारंभिक मानव माता) ने अपनी बेटियों के लिए की थी. तब से बहनें अपने भाइयों की रक्षा और प्रकृति की पूजा के रूप में करम डाली की पूजा करती हैं.