Kartik Purnima 2022: कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डुबकी, चंद्र ग्रहण को लेकर दुकानदारों में दिखी मायूसी

कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने रांची के केतारी बागान स्थित स्वर्णरेखा नदी में गंगा स्नान किया. स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने नदी तट पर बने मंदिर में शिव परिवार की पूजा-अर्चना की. सुबह चार बजे से ही श्रद्धालु नदी पर पहुंचने लगे थे. आठ बजे के बाद नदी तट पर श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम हो गई थी.

By Guru Swarup Mishra | November 8, 2022 9:26 PM
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Kartik purnima 2022: कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डुबकी, चंद्र ग्रहण को लेकर दुकानदारों में दिखी मायूसी 6

Kartik Purnima 2022: कार्तिक पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रांची के केतारी बागान स्थित स्वर्णरेखा नदी में गंगा स्नान किया. स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने नदी तट पर बने मंदिर में शिव परिवार की पूजा-अर्चना की. सुबह चार बजे से ही श्रद्धालु नदी पर पहुंचने लगे थे. सुबह पांच बजे से स्नान शुरू किया गया. नदी के समीप मेला लगा था, जिसमें खाने-पीने की सामग्री के अलावा बच्चों के मनोरंजन के साधन थे.

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चंद्र ग्रहण को लेकर लगे सूतक की वजह से सुबह 8 बजे ही मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर सभी प्रतिमाओं एवं शिवलिंग को कपड़े से ढंक दिया गया था. स्नान करने आएं लोगों ने भी 8 बजे से पहले स्नान कर पूजा अर्चना की एवं नदी तट पर सत्यनारायण भगवान की कथा सुनी. आठ बजे के बाद नदी तट एवं मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम हो गई थी. सुविधा को लेकर स्वर्णरेखा उत्थान समिति के सदस्य लगे हुए थे.

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स्नान, पूजन के बाद दान करने की परंपरा है. आए लोगों ने मौजूद भिखारियों को अन्न, वस्त्र, पैसे दान किए. वर्षों से चली आ रही परंपरा को दरिद्र नारायण भोजन समिति के सदस्यों ने निभाया. समिति की ओर से दरिद्र नारायण भोजन कराया गया. समिति के अध्यक्ष गिरधारी महतो ने बताया कि आदि काल से परंपरा निभाई जा रही है. पूर्णिमा से एक दिन पूर्व दरिद्रों को भोज के लिए एवं पूर्णिमा के दिन भोजन तैयार होने के बाद दोबारा भोज ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया जाता है.

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नदी का पानी काफी दूषित हो चुका है. इससे बदबू आता है. दूषित पानी होने की वजह से काफी श्रद्धालु घर से ही स्नान कर पूजा करने पहुंचे थे. सुविधा को देखते हुए नगर निगम की ओर से स्नान के लिए पंडाल लगाकर एक दर्जन नल लगाएं गए थे, जिसमें स्नान कर श्रद्धालुओं ने पूजा की.

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चंद्र ग्रहण एवं सूतक की वजह से सुबह 10 बजे के बाद श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम हो गई थी. इससे आसपास लगे ठेले-खोमचे वालों के चेहरे पर मायूसी दिखी. शाम तक चलने वाला मेला 1 बजे से ही सिमटने लगा था.

रिपोर्ट : राजेश वर्मा, नामकुम, रांची

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