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झारखंड: कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, मंदिरों में की पूजा-अर्चना, ये है मान्यता

मान्यता है कि कार्तिक में हर नदी का जल गंगा के समान हो जाता है. पूरे साल किए जाने वाले स्नान के फल का पुण्य सिर्फ कार्तिक के स्नान से ही मिल जाता है. कार्तिक में लगाई गई एक डुबकी से कुंभ स्नान के समान फल मिलता है. स्वयं ब्रह्मा ने नारद को बताया था कि कार्तिक में किया जाने वाला पुण्य अक्षय रहता है.

रांची/चतरा/पश्चिमी सिंहभूम/सरायकेला(राजेश, विजय, अनिल, शचिंद्र): कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को झारखंड के रांची, चतरा, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां समेत अन्य क्षेत्रों में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. चतरा के इटखोरी में मां भद्रकाली मंदिर में सुबह तीन बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी. रांची के नामकुम में भक्तों ने स्वर्णरेखा रेखा नदी में डुबकी लगाकर महादेव की पूजा-अर्चना की. पश्चिमी सिंहभूम के कराईकेला गांव में कार्तिक पूर्णिमा पर केले से बनी नाव पर पान, सुपारी रखकर पानी में बहाने की अनोखी प्रथा है. मान्यता है कि कार्तिक में हर नदी का जल गंगा के समान हो जाता है. पूरे साल किए जाने वाले स्नान के फल का पुण्य सिर्फ कार्तिक के स्नान से ही मिल जाता है. कार्तिक में लगाई गई एक डुबकी से कुंभ स्नान के समान फल मिलता है. स्वयं ब्रह्मा ने नारद को बताया था कि कार्तिक में किया जाने वाला पुण्य अक्षय रहता है.

इटखोरी के भद्राकाली मंदिर में दिखी श्रद्धालुओं की भीड़

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को मां भद्रकाली मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रही. सुबह तीन बजे से ही श्रद्धालु माता के मंदिर पहुंचने लगे थे. मंदिर में लोगों के आने-जाने का सिलसिला देर शाम तक चला. लगभग तीस हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मां भद्रकाली के दर्शन किए. भीड़ दर्शन के लिए मंदिर के बाहर लंबी कतार लगी थी. प्राचीन परंपरा का निर्वाह करते हुए लगभग दस हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने उत्तर वाहिनी मोहाने नदी में स्नान किया. आपको बता दें कि मंदिर में अप्रत्याशित भीड़ होने के कारण विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो गई थी. यहां तक कि महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी. मंदिर परिसर की पूरी विधि व्यवस्था मात्र दो पुरुष होमगार्ड के भरोसे छोड़ दी गई थी. इस कारण गर्भगृह में प्रवेश के दौरान महिला श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था.

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रांची की स्वर्णरेखा नदी के किनारे दिखा श्रद्धालुओं का जमावड़ा

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने रांची के नामकुम में स्वर्णरेखा नदी में आस्था की डुबकी लगाई. श्रद्धालुओं ने नदी में स्नान करने के बाद तट पर सत्यनारायण भगवान की कथा सुनी. इसके बाद इक्कीसो महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना की. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर इक्कीसो महादेव मंदिर में मेले का भी आयोजन हुआ था. इसमें खाने-पीने, श्रृंगार की वस्तुएं और मनोरंजन की चीजें उपलब्ध थीं. खास बात यह है कि कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर के समीप वर्षों से दरिद्र नारायण भोज कराने की परंपरा है. इस भोज का आयोजन दरिद्र नारायण भोज समिति के द्वारा किया जाता है. वैसे तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु नदी में नहाना ही पसंद करते हैं लेकिन स्वर्णरेखा नदी का पानी दूषित होने के कारण ज्यादातर श्रद्धालु घर से ही स्नान करके मंदिर पहुंचे थे. श्रद्धालुओं की शिकायत थी कि प्रदूषण के कारण नदी के पानी का रंग काला पड़ चुका है और पानी से बदबू आ रहा है.

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बंदगांव के कराईकेला में नाव में पान व सुपारी रखकर बहाया

बंदगांव में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को कराईकेला क्षेत्र के जगरनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई. प्रातः काल से ही श्रद्धालु कराईकेला बिंजय नदी में आस्था की डुबकी लगाने लगे थे. श्रद्धालुओं ने जगरनाथ मंदिर में पूजा अर्चना कर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की. परंपरा के अनुसार उड़िया समाज की महिलाओं ने नदी में नौका प्रवाह किया. यह खास नौका केले के पेड़ से बना होता है जिसपर पान, सुपारी, पैसे, अगरबत्ती तथा दिया रखकर जल उसे पारंपरिक तौर से नदी में प्रवाहित किया जाता है. उससे पहले नदी घाटों पर तुलसी की पूजा अर्चना की जाती है. जिसके बाद घर के सदस्यों के नाम लेते हुए नौका को पानी में प्रवाहित किया जाता है.

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सरायकेला के प्रमुख मंदिरों में उमड़ी लोगों की भीड़

कार्तिक पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त पर सरायकेला खरसावां में कई धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया. मंदिरों के कपाट अहले सुबह खोल दिया गए थे. प्रातः तीन बजे से ही सैकड़ों की संख्या में लोगों ने पूर्व नदी, तालाब में आस्था की डुबकी लगाई. पवित्र स्नान कर मंदिरों में पूजा अर्चना की. श्रद्धालुओं का जमावड़ा श्रीकृष्ण मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, हरि मंदिर, शिव मंदिर में सुबह ही दिखने लगा था. हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर में दिन भर श्रद्धालुओं का पहुंचना जारी रहा. प्रभु जगन्नाथ, बालभद्र व देवी सुभद्रा का मौके पर विशेष श्रृंगार किया गया था. इसके अलावा कई स्थानों में सोमवार को सत्यनारायण व्रत की कथा का भी आयोजन किया गया था.

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