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Exclusive: झारखंड में किसानों के 10.67 लाख KCC खाते क्यों हो गए यूजलेस, क्या है टेक्निकल पेच?

KCC Account: झारखंड में तकनीकी पेच के कारण किसानों के 10.67 लाख केसीसी खाते अनुपयोगी हो गए हैं. कर्ज माफी की राशि अकाउंट में जाने के बाद भी किसानों के खाते अनुपयोगी हो गए हैं.

KCC Account: रांची, बिपिन सिंह-सरकार ने अथक प्रयास से अपने वित्तीय संसाधनों का समुचित उपयोग करते हुए 4.79 लाख से ज्यादा किसानों के खातों में लगभग 2,237 करोड़ रुपये डाले. झारखंड कृषि ऋण माफी योजना (जेकेआरएमवाय) के अंतर्गत कुल 4,78,922 लाभार्थियों को करीब 23 सौ करोड़ रुपये का भुगतान कर्ज माफी के लिए किया जा चुका है. हजारों किसानों के खाते में कर्ज माफी की राशि जाने के बाद भी तकनीकी पेच के चलते उनके केसीसी खाते अनुपयोगी हो गए हैं. किसानों के 10.67 लाख केसीसी खाते अनुपयोगी हो गए हैं. किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.

झारखंड में 14.58 लाख किसानों के केसीसी खाते


झारखंड में 14.58 लाख किसानों के केसीसी खाते हैं. 31 मार्च 2020 को सरकार की कर्ज माफी की घोषणा के समय राज्य में 6.52 लाख स्टैंडर्ड खाते थे. लेकिन 31 दिसंबर 2024 में किसानों के 3,90,981 एकाउंट समय के साथ एनपीए हो गये हैं. इन 14.58 लाख केसीसी खातों में से 10.67 लाख खाते अत्यधिक निकासी के कारण बैंकिंग सिस्टम से बाहर कर दिये गये हैं. वर्तमान में एक तरह से ये खाते अनुपयोगी हो गये हैं. किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल सकता है. सही तरीके से खातों का संचालन नहीं होने के चलते बाकी खाते भी 31 मार्च तक ओवरड्यू (लिमिट क्रॉस) वाले हो गये हैं.

2.07 लाख खाते हो गए एनपीए


बैंक ऑफ इंडिया के 4.25 लाख केसीसी खातों में से 2.07 लाख खाते एनपीए हो चुके हैं. बाकी बैंकों की भी कमोबेश यही स्थिति है. यानी इन खातों से पिछले तीन वर्षों से सही तरीके से लेन-देन नहीं किया गया है. इसका असर झारखंड के अंदर बैंकों की वित्तीय सेहत पर पड़ा और साल दर साल बैंकों का एनपीए बढ़ता गया, जो इस समय 618 करोड़ हो चुका है. कर्ज माफी के समय जितने भी स्टैंडर्ड (लेनदेन) वाले खाते थे, वह भी ब्याज का भुगतान न कर पाने के चलते 36 महीने पूरे न हो पाने के चलते बड़ी संख्या में एनपीए होने की कगार पर हैं. इन सबके बावजूद बैंकों पर किसानों की दशा सुधारने के लिए सरकार का दबाव है. इस कड़ी में वित्तीय वर्ष में 31 दिसंबर तक 23,000 नए केसीसी खाता खोले गये हैं.

ऐसे समझें तकनीकी पेच को, जिससे खाते अनुपयोगी हो गये


सरकार ने 2020 में 52.75% किसानों का कर्जा माफ किया. राज्य सरकार ने दो लाख तक की बकाया राशि को किसानों के खाते में 2023-24 में जमा करा दिया, लेकिन किसानों के केसीसी खातों में 2020 के बाद से बीते तीन-चार वर्षों में ब्याज लग गया. इससे वह सभी अकाउंट अतिदेय (ओवरड्यू) हो गये. किसानों के ज्यादातर खाते अनउत्पादक-एनपीए यानी बट्टा खाता में चले गये. हाल यह है कि स्टैंडर्ड खाते भी ज्यादातर आज की तारीख में ओवरड्यू स्टेटस वाले हैं.

ऐसे समझें बैंकों के ब्याज का गणित


मान लीजिए अपने एक लाख का नया केसीसी लिमिटवाला कार्ड लिया है, उस पर 07% का ब्याज यानी की ₹7000 सालाना सूद लगेगा. आपको कम से कम 01 दिन के लिए भी 1,07000 (एक लाख मूल, प्लस 7000 ब्याज) की राशि को बैंक में जमा करना पड़ेगा. अगले दिन आप 01 लाख फिर से निकाल सकते हैं. ऐसा करते ही अनुदान के 7000 रुपये (केंद्र सरकार द्वारा 3000 और झारखंड सरकार द्वारा 4000 रुपये) आपके खाते में वापस कर दिये जायेंगे. इस तरह से उक्त किसान के पास एक लाख से तीन लाख तक की राशि बिना किसी ब्याज के आपके पास खेती के लिए हमेशा उपलब्ध रहेगा.

किसानों के 10.67 लाख एकाउंट में कर्जा बढ़ा


झारखंड में जब किसानों की कर्ज माफी (जेकेआरएमवाय) का ऐलान किया गया, उस वक्त 31 मार्च 2020 तक झारखंड में करीब 12.15 लाख किसानों के केसीसी खातों में से 9.8 लाख केसीसी खाते स्टैंडर्ड थे. उस वक्त किसानों पर बैंकों का 4,089 करोड़ रुपये बकाया था.

कृषि ऋण माफी योजना के तहत कर्ज माफी की स्थिति

  • राज्य में कर्ज माफी वाले कुल किसानों का डिजिटल साइन किए गए डाटा अपलोड : 6,00,429
  • ऋण माफी के कुल खातों में ई केवाईसी की स्थिति : 5,00,866
  • ऋण माफी के कुल लाभार्थियों को सफलतापूर्वक किया गया भुगतान : 4,78,922

मंगरा मुंडा को कर्ज माफी का लाभ मिला, पर खाता एनपीए हो गया


पिठौरिया में चावल की खेती करनेवाले मंगरा मुंडा ने बैंक ऑफ इंडिया की कांके शाखा से खाद और बीज खरीदने के लिए 1 अप्रैल 2022 को 50,000 रुपये का किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण लिया. 31 मार्च 2023 तक 7% ऋण की दर से उसे उस पैसे को बैंक में 50 हजार की जगह ब्याज सहित करीब 62 हजार रुपये का भुगतान करना था. सरकार द्वारा ऋण माफी योजना के तहत पहले चरण में उसके खाते में उस वक्त 50 हजार वाले किसानों का कर्जा माफ किया गया. लेकिन, ब्याज की राशि का भुगतान न करने से बड़ी संख्या में एकाउंट स्टैंडर्ड होने की जगह एनपीए ही रहा. लिहाजा उसे सरकार की कर्ज माफी का लाभ तो मिला, लेकिन उस वक्त 50 हजार का लिमिट तय करने के कारण वे केसीसी का वास्तविक लाभ लेने से वंचित रह गये. वह केसीसी अकाउंट होते हुए भी बाजार और महाजनों से ज्यादा ब्याज दर पर कर्ज लेकर खेती करने पर विवश है.

आदिम जनजाति के शनिचर असुर को किसी योजना की राशि नहीं मिल पा रही


भवनाथपुर के आदिम जनजाति से आनेवाले शनिचर असुर अगेरिया का केसीसी खाता ओवरड्यू हो गया है. बैंक ने शनिचर अगेरिया को नोटिस भी भेजा है. इनके खाते में अब किसी भी तरह सरकारी योजना का पैसा नहीं जा रहा है. शनिचर ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ऋण का भी आवेदन किया था, लेकिन इसका भी पैसा नहीं मिल रहा है. शनिचर अगेरिया कहते हैं कि समझ नहीं आ रहा क्या करूं. खेती के लिए ऋण लिया था. बैंक से पहले कोई सूचना भी सूद भरने के लिए नहीं दी गयी. अचानक नोटिस मिली है. हमें योजना के बारे में पूरी जानकारी भी नहीं थी.

किसानों को करना क्या था?


साल में एक बार केसीसी खाता में राशि को पलटी करवाना, यानी ब्याज सहित मूलधन को एक दिन के लिए भी बैंक में जमा करना था. बैंक द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड खाते में केवल किसानों द्वारा निकाली गयी शेष राशि पर ही साधारण ब्याज लगाया जाता है. शर्त बस इतनी है कि समय पर ब्याज सहित बकाया राशि को किसान क्रेडिट कार्ड खाते में एक दिन के लिए भी जमा कराना होगा, ऐसा करने पर ही पूरे वर्ष के दौरान लगाए गए ब्याज पर भारत सरकार द्वारा 03% और झारखंड सरकार द्वारा 04% यानी कुल 07% ब्याज अनुदान का लाभ मिलता है

  • बैंकों द्वारा जारी कुल केसीसी : 14,58,456
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक : 10.22 लाख
  • निजी क्षेत्र के बैंक : 12.05 हजार
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक : 3.07 लाख
  • सहकारी बैंक : 11.05 हजार (करीब)
    (स्रोत एसएलबीसी)

किसानों को कर्ज देने वाले तीन सर्वश्रेष्ठ बैंक

  • बैंक ऑफ इंडिया 461.10 करोड़
  • भारतीय स्टेट बैंक 412.10 करोड़
  • यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया 261.64 करोड़
    (स्रोत एसएलबीसी)

एसएलबीसी की बैठक में कृषि मंत्री ने उठाया था सवाल


पिछले दिनों हुई एसएलबीसी की बैठक में राज्य की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने सवाल उठाया था कि जब सरकार पैसे दे रही है, तो किसानों को इसका लाभ क्यों नहीं मिल रहा है? बैंक किसानों से जुड़े केसीसी ऋण लेने वाले एकाउंट को पुनर्जीवित क्यों नहीं कर पा रहे हैं?

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