कौन हैं झारखंड कांग्रेस के नये प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, इस बड़ी आबादी को साधने की है तैयारी

केशव महतो कमलेश कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से है. वे अविभाजित बिहार में सिल्ली विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. 1985 में वे पहली बार सिल्ली विधानसभा सीट से विधायक चुने गये

By Sameer Oraon | August 17, 2024 3:33 PM

रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है. पार्टी के केंद्रीय आलाकमान ने बड़ा फैसला लेते हुए कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया है. उन्होंने राजेश ठाकुर को पद से हटाकर केशव महतो कमलेश को प्रदेश का कमान सौंपा है. इसके अलावा पार्टी ने बीते कुछ समय से खाली चल रही विधायक दल के नेता की कुर्सी को भी भर दिया है. पार्टी ने सरकार में वित्त मंत्री का पद संभाल रहे रामेश्वर उरांव को विधायक दल का नेता बनाया है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल ये उठ रहा है कि केशव महतो कमलेश हैं कौन?

कौन केशव महतो कमलेश

केशव महतो कमलेश कांग्रेस पार्टी में लंबे समय से है. वे अविभाजित बिहार में सिल्ली विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. 1985 में वे पहली बार सिल्ली विधानसभा सीट से विधायक चुने गये. इसके बाद साल वे मंत्री भी बिहार सरकार में मंत्री भी बने. साल 1995 में केशव महतो कमलेश फिर सिल्ली विधानसभा चुनाव से चुनाव जीतकर विधायक बने. लेकिन साल 2000 में वे सुदेश महतो से हार गये. इसके बाद वे फिर कभी विधायक नहीं बने. वह इससे पहले कार्यकारी अध्यक्ष का भी पदभार संभाल चुके हैं. उनकी पहचान एक साफ छवि के नेता रूप में होती है. उनके ऊपर अब तक किसी प्रकार का कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. उन्होंने 1976 से 1978 के बीच रांची विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई की है.

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कुड़मी वोटरों को साधने की है तैयारी

केशव को अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कुड़मी वोटरों की गोलबंदी को लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें प्रदेश नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी है. झारखंड में कुड़मी समुदाय की अच्छी खासी जनसंख्या है. कई इलाकों रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो, धनबाद समेत कई इलाकों में कुड़मी वोटर्स निर्णायक की भूमिका में रहते हैं.

केशव को संगठन में काम करने का लंबा अनुभव

बता दें कि एक सप्ताह पूर्व कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के 20 नेताओं को दिल्ली बुलाकर उनका फीडबैक लिया था. प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सभी नेताओं से वन-टू-वन बातचीत की गयी थी. इसमें प्रदेश के नेताओं ने खुलकर अपनी बात रखी थी. केशव को संगठन में काम करने का लंबा अनुभव भी है.

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