झारखंड: खरसावां शहीद दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय विचार मंथन का समापन, हैदराबाद में होगा अगला सम्मेलन
कार्यक्रम के आखिरी सत्र में रांची प्रस्ताव पारित किया गया. इसके साथ ही पंचम राष्ट्रीय विचार मंथन हैदराबाद में आयोजित करने की घोषणा की गई. झारखंड कला संस्कृति विभाग की टीम द्वारा नागपुरी लोकनृत्य की प्रस्तुति की गई, जिसे बाहर के राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने काफी सराहना की.
रांची: खरसावां शहीद दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर डॉ राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन (नई दिल्ली) द्वारा आयोजित दो दिवसीय चतुर्थ राष्ट्रीय विचार मंथन का आज रविवार को समापन हो गया. विचार मंथन के दूसरे दिन रांची के ऑड्रे हाउस सभागार में चार अलग-अलग सत्रों में डॉ राममनोहर लोहिया से जुड़े विषयों पर कई विद्वान वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट किए. दूसरे दिन के पहले सत्र में छोटे राज्यों के विषय में डॉ लोहिया के विचार पर गोवा के सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत नाईक, समाजवादी चिंतक श्याम गंभीर और बनारस के समाजवादी चिंतक विजय नारायण ने अपने विचार रखे. दूसरे सत्र का विषय था-आदिवासी समाज और समाजवाद इस विषय पर सेंट जेवियर्स कॉलेज की सहायक अध्यापिका अंजू ओसिमा टोप्पो, जनजातीय मामलों के लेखक संदीप मुरारका और पूरनचंद फाउंडेशन के सचिव अभिजीत कुमार ने अपने विचार प्रकट किए.
खुले सत्र का भी हुआ आयोजन
तीसरे सत्र का विषय था-पुलिस उत्पीड़न और डॉ लोहिया. इस सत्र को संबोधित करने वालों में झारखंड के पूर्व मंत्री रामचंद्र केसरी, मुंबई लेबर यूनियन के महासचिव संजीव पुजारी और रांची विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के सहायक अध्यापक डॉ राजकुमार शामिल थे. उसके बाद एक खुला सत्र का आयोजन किया गया, जिसका संचालन डॉ राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष अभिषेक रंजन सिंह ने किया. इस सत्र को इंदौर के समाजवादी चिंतक रामबाबू अग्रवाल, लखनऊ के अरूण कुमार, गया के मुद्रिका प्रसाद नायक और बहराइच के अनवर वारसी ने संबोधित किया.
पंचम राष्ट्रीय विचार मंथन हैदराबाद में
कार्यक्रम के आखिरी सत्र में रांची प्रस्ताव पारित किया गया. इसके साथ ही पंचम राष्ट्रीय विचार मंथन हैदराबाद में आयोजित करने की घोषणा की गई. झारखंड कला संस्कृति विभाग की टीम द्वारा नागपुरी लोकनृत्य की प्रस्तुति की गई, जिसे बाहर के राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने काफी सराहना की. धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय इतिहास विभाग के सहायक अध्यापक डॉ कंजीव लोचन ने किया.
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