रांची : राजधानी में खास महाल जमीन की धड़ल्ले से खरीद-बिक्री की जा रही है. जमीन दलालों की मिलीभगत से सब रजिस्ट्रार या उप निबंधक कार्यालय से जमीन की रजिस्ट्री भी की जा रही है. प्रभात खबर के पास खासमहाल प्रकृति की जमीन की रजिस्ट्री के दो दर्जन से अधिक दस्तावेज उपलब्ध हैं.
कांटाटोली के कोनका मौजा में खाता नंबर 878, एमएस प्लॉट नंबर 1027, थाना नंबर 198 की 572 कड़ी जमीन खासमहाल के रूप में चिह्नित है. वर्ष 1941 में अंगरेज सरकार द्वारा जमीन लीज की गयी थी. बाद में 1966 में 30 वर्ष की लीज का नवीकरण भी किया गया. उसके बाद से लीज नवीकरण नहीं किया गया है. जमीन दलाल उक्त जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बेच रहे हैं. खास महाल की जमीन राज्य सरकार की प्रतिबंधित सूची में भी शामिल है. बावजूद इसके दो दर्जन लोगों को रजिस्ट्री की जा चुकी है.
रांची जिला में खास महाल जमीन के लगभग 1400 प्लॉट हैं. खास महाल भूमि की खरीद-बिक्री प्रतिबंधित है. पूर्व में खास महाल जमीन की रजिस्ट्री की जाती थी. लेकिन, राज्य सरकार ने खास महाल भूमि की सूची में दर्ज खाता और प्लॉट की जमीन से संबंधित किसी भी तरह के डीड की रजिस्ट्री नहीं करने का आदेश जारी किया. खास महाल जमीन की डिटेल लिस्ट भी रजिस्ट्री ऑफिस को भेजी गयी है. इसके बावजूद जमीन माफिया फर्जीवाड़ा कर रजिस्ट्री करा दे रहे हैं.
मौजा थाना प्लॉट भूमि डीड सं
कोनका 198 26 59.5 1635
कोनका 198 26 3.3 4729
कोनका 198 26 1.65 4730
कोनका 198 26 1.65 4728
कोनका 198 26 9.91 4727
कोनका 198 26 9.91 1146
कोनका 198 26 9.91 1149
कोनका 198 26 9.91 1147
कोनका 198 26 9.91 1140
कोनका 198 26 9.91 1141
कोनका 198 26 11.75 1711
कोनका 198 26 11.75 1714
कोनका 198 26 11.75 1712
कोनका 198 26 11.75 1713
कोनका 198 26 11.75 1716
कोनका 198 26 3.31 1715
कोनका 198 26 — 3781
कोनका 198 26 — 4738
कोनका 198 26 — 4637
कोनका 198 26 — 7164
मामला मेरे आने के पहले का है. पूर्व में मामले की जांच करायी गयी थी. लेकिन इसमें खासमहाल जमीन नहीं पाया गया था. अब मामला मेरे संज्ञान में आया है. इसकी जांच करायी जायेगी. जो भी दोषी पाये जायेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
घासीराम पिंगुआ, अवर निबंधक रांची
अंग्रेजी हुकूमत के समय खास महाल इस्टेट बनाया गया था. जमींदारी प्रथा समाप्त होने के बाद जब्त जमीन को भी इसमें शामिल किया गया. खास महाल जमीन का मालिकाना हक भारत सरकार के पास होता है. इसके अंतर्गत सरकारी और रैयती दोनों तरह की जमीन आती है. 60 के दशक में सरकार ने कुछ लोगों और संस्थानों को खासमहल की भूमि लीज पर दी. 80 के दशक में भी रांची में करीब एक हजार लोगों को जीविकोपार्जन के लिए खास महाल की जमीन लीज पर दी गयी थी. लीज की अनिवार्य शर्त के मुताबिक, जमीन का हस्तांतरण किसी भी हाल में नहीं किया जा सकता है.