रांची के खटंगा गांव के लोगों को जब जनप्रतिनिधियों से नहीं मिली मदद तो आपसी सहयोग से बना डाला तालाब
प्रभात खबर डॉट कॉम ने खबर प्रकाशित की थी कि दूषित तालाब का पानी की वजह से कई जानवरों की मौत हो गयी थी जिसके बाद से लोगों ने मवेशी पालना बंद कर दिया.
रांची: राजधानी रांची का कांके प्रखंड स्थित खटंगा गांव के ग्रामीणों को जब स्थानीय जनप्रतिनिधियों से कोई मदद नहीं मिली तो लोगों ने खुद ही आपस में चंदा कर तालाब की सफाई और गहरीकरण का कार्य किया. न सिर्फ ग्रामीणों ने तालाब की सफाई की बल्कि उसके आसपास पौधरोपण का भी कार्य किया है. बता दें कि ये पंचायत में स्थित एकमात्र ऐसा तालाब है जिसमें गांव के लोग स्नान करने, कपड़े धोने के साथ साथ अपने मवेशियों को पानी पिलाने और कृषि कार्य के लिए करते हैं.
ज्ञात हो कि कुछ माह पहले ही प्रभात खबर डॉट कॉम ने खबर प्रकाशित की थी कि दूषित तालाब का पानी की वजह से कई जानवरों की मौत हो गयी. जिसके बाद से लोगों ने मवेशी पालना बंद कर दिया था. हालांकि, अब परिस्थिति बदल गयी है और लोग धीरे धीरे फिर से मवेशी पालने लगे हैं. खटंगा गांव के सुदर्शन गोप का कहना है कि जब स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली तब हमलोगों ने मिलकर गांव के इस तालाब की सफाई और गहरीकरण का कार्य किया.
इस कार्य के लिए हमने स्पोर्ट्स सिटी की मदद ली. उनके सहयोग से हमें जेसीबी मिली और हम इस कार्य को कर पाएं. हम चाहते हैं कि सरकार इस तालाब को सौंदर्यीकरण करने का कार्य करें. उनका तो ये भी कहना है कि हम इस तालाब के जरिये ग्रामीणों को स्वालंबी बनाना चाहते हैं. इसके लिए हमने मछली पालन का कार्य शुरू किया है. ताकि गांव के लोगों को दूसरों के यहां काम न करना पड़े.
गांव में और भी हैं कई समस्याएं
खटंगा पंचायत में रहने वाले अन्य लोगों से प्रभात खबर डॉट कॉम के प्रतिनिधि समीर उरांव ने बातचीत करने का प्रयास किया तो पता चला कि गांव में और भी कई समस्याएं हैं. सबसे बड़ी समस्या ये है कि इस पंचायत में कोई सरकारी हाई स्कूल नहीं है. पांचवी कक्षा पास करने के बाद लोगों को टाटीसिलवे में पढ़ाई करने जाना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत चुनाव के समय हर जनप्रतिनिधि स्कूल बनाने का वादा तो करते हैं लेकिन चुनाव जीतने बाद के कोई भी इस मामले में ठोस करवाई नहीं करते.
क्या कहते हैं गांव के मुखिया
गांव के मुखिया अनिल लिंडा का कहना है कि हमने तालाब की सौंदर्यीकरण के लिए जिला परिषद संजय महतो को आवेदन दे दिया है. उन्होंने आश्वस्त किया है कि जल्द से जल्द तालाब का सौंदर्यीकरण करा दिया जाएगा. प्रभात खबर में समाचार प्रकाशित होने के बाद मैंने खुद गांव का जायजा लिया था. अपने स्तर से मदद करने की कोशिश की थी.
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गांव में जलमीनार की समस्या भी नहीं सुलझी
खटंगा गांव के लोगों का कहना है कि खटंगा कांके विधानसभा का 32 पंचायत है. जनसंख्या की दृष्टि से देखें तो यह सबसे बड़ा पंचायत भी है. यहां 10000 से ज्यादा जनसंख्या है. इतनी बड़ी जनसंख्या के बावजूद गांव में केवल 4 जलमीनार है. इसमें सिर्फ एक की है स्थिति ठीक है. गांव के लोगों ने कहा कि जलमीनार की स्थिति पहले की तरह ही बनी हुई है. इसके अलावा ग्रामीणों का कहना है कि गांव में 1 या दो स्ट्रीट लाइट को छोड़कर लगभग सबकी स्थिति खराब है.
कुछ माह पहले क्या थी स्थिति
प्रभात खबर ने कुछ माह पूर्व ही इस मामले पर गांव में जाकर पड़ताल करने की कोशिश की थी. बातचीत के क्रम में पता चला था कि गांव के तालाब का पानी दूषित होने के कारण तकरीबन 150 पशुओं की मौत हो गयी थी. इस वजह से गांव के लोगों ने मवेशी पालना बंद कर दिया था. जो पशु बच गये थे उन्हें भी लोगों ने औने पौने दामों में बेच दिया था. हालांकि, अब धीरे लोग मवेशी पालना फिर शुरू कर रहे हैं. तालाब के दूषित होने का सबसे बड़ा कारण ग्रामीण खेलगांव स्थित NGHC से निकलने वाला गंदा पानी को सबसे अधिकार जिम्मेदार बताते हैं.