Jharkhand news, Ranchi news : रांची : खूंटी जिला अंतर्गत कर्रा प्रखंड के बमरजा गांव के किसान मनरेगा के तहत संचालित सिंचाई कूप निर्माण का भरपूर लाभ उठा रहे हैं. इससे अब अपने खेत में खेती कर किसान आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं और आत्मविश्वासी भी हो रहे हैं. नीलाम्बर- पीताम्बर जल समृद्धि योजना के तहत सिंचाई कूप निर्माण में किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिले इसके लिए मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी अहम भूमिका निभा रहे हैं.
जिले के कर्रा प्रखंड अंतर्गत ग्राम बमरजा के लाभुक किसान के जीवन को उन्नत करने की दिशा में मनरेगा के तहत संचालित ये योजना सार्थक सिद्ध हुई है. सफलता के पथ पर आगे बढ़ते ये किसान अब आत्मविश्वास की ऊर्जा से प्रभावित हैं. किसान कोयलो उरांव के जीवन में एक आशा की किरण तब मिली जब उन्होंने को मनरेगा अंतर्गत सिंचाई कूप के लिए ग्रामसभा में चर्चा कर अपने नाम से सिंचाई कूप की मांग की. इसके लिए उन्होंने ग्रामसभा की कॉपी ग्राम रोजगार सेवक को प्रदान करने के बाद प्रखंड स्तर से योजना की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की.
पहले संपूर्ण खेत में सिंचाई के लिए पानी की कमी के कारण खेती-बारी में परेशानी आ रही थी. किसान कोयलो दूसरे खेत में खेती करते थे. अपने खेत में सिंचाई के साधन नहीं होने के कारण खेती करने में असमर्थ थे. लेकिन, परेशानियां तब छटी जब उन्होंने मनरेगा के अंतर्गत कुआं निर्माण से ना केवल अपने खेत में खेती करने के लिए समर्थ हुए हैं, बल्कि अब आत्मविश्वास से भरे आंखों में उम्मीदों की लहर भी दिखने लगी है.
सूखा प्रभावित तथा पिछड़ा क्षेत्र जहां आवागमन के साधन भी कम हैं. आर्थिक पिछड़ापन होने के बावजूद भी डुमारी गांव का यह किसान अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में शिक्षित कर रहे हैं. यही नहीं किसानों के लिए खेती के पर्याप्त संसाधन नहीं होना, समय पर बारिश नहीं होना यह सब बड़ी चुनौतियां बनकर सामने आयी है.
किसान कोयलो उरांव का कहना है कि पहले से अब वो 4 से 5 गुना अधिक खेती कर फसल उपजा रहे हैं. इस वर्ष सब्जी खेती (आलू, मटर, बिन, करेला, गोभी, प्याज, टमाटर आदि) से कुल लाभ लगभग 2,10,000 रुपया तक हुआ है. अभी निकट भविष्य में भी सब्जी नकद बिक्री की जायेगी तथा अधिक से अधिक लाभ मिलने की संभावनाएं है. मनरेगा के अंतर्गत सिंचाई कूप निर्माण कर नकद खेती कर रहे हैं, जिससे डुमारी गांव ही नहीं, बल्कि कर्रा प्रखंड के काफी किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है.
लाभुक का कहना है कि अब वह हर मौसम में खेती करते हैं और परिवार के भरण- पोषण, बच्चों की शिक्षा के खर्च के साथ-साथ खेती में भी पूंजी लगा कर कर्रा प्रखंड में एक उभरते हुए किसान के रूप में लोगों को प्रेरित कर रहे हैं. मनरेगा से मिली ये उपलब्धियां लोगों तक बेहतर संदेश देने में सहायक सिद्ध हुई हैं. अब ऊर्जावान ये किसान उन्नत भी हैं और कुशल भी हैं.
इस संबंध में झारखंड के मनरेगा आयुक्त (MNREGA commissioner) सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के इस चुनौतीपूर्ण समय में किसानों एवं प्रवासी मजदूरों को आजीविका से जोड़ना राज्य सरकार की प्रतिबद्धता है. अधिक से अधिक लोगों को नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना का लाभ मिले यह सरकार का प्रयास है. इस योजना के माध्यम से बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में तब्दील कर रोजगार सृजन करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए विभाग प्रतिबद्धता के साथ पूरे राज्य में कार्य कर रही है.
Posted By : Samir Ranjan.