रांची. कोबाड घांदी ने 28 नवंबर को अपने साक्षात्कार में माओवादी अब भ्रष्टाचारी हो गये हैं, हेडलाइन से छपी खबर पर आपत्ति जतायी है़ श्री घांदी ने कहा कि उनके द्वारा ऐसा नहीं कहा गया है़ वे बेरमो में मौजूद काले धन की विशाल अर्थव्यवस्था को समझने की कोशिश कर रहे थे. कोयला माफियाओं के बारे में विस्तृत जानकारी ले रहे थे.
ये पैसे कहां पहुंचाते हैं और कैसे कमाया और कहां खर्च होता है, तो सामने आया कि यह समाज के तकरीबन सभी बड़े नेताओं व शायद कुछ तथाकथित माओवादी तक जाता है. यहां पूरे माओवादी को भ्रष्ट बना दिया गया. मेरे साक्षात्कार की गलत व्याख्या कर दी गयी़ उन्होंने कहा है कि अपनी इस गिरफ्तारी से पहले मैं कभी झारखंड नहीं गया.
आपको बता दें कि कोबाड घांदी ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा था कि झारखंड में खनिज संपदा काफी मात्रा में है, पर यहां गरीबी भी उतनी ही है. यहां के गरीब आदिवासी मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में काम करने के लिए जाते हैं और वहां उन्हें बहुत कम मजदूरी में काम करना पड़ता है. शोषण भी होता है. उन्होंने कहा कि धनबाद और बेरमो में कोयला की काफी काली कमाई होने की बात कही जाती है, जो यहां की राजनीति को भी नियंत्रित करती है. वैसे माफिया यहां मालामाल हो रहे हैं और यहां के लोग जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
श्री घंधी ने प्रभात खबर को दिये इंटरव्यू में कहा था कि काला धन हमारे देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर रहा है. अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है तथा देश का विकास करना है तो काला धन पर रोक लगाते हुए असमानता को दूर करना होगा. आज की तुलना में अंग्रेजों के समय में जीडीपी मात्र आठ फीसदी था. श्री गांधी ने कहा कि पूरे सिस्टम को ऊपर से लेकर नीचे तक खराब कर दिया गया है, अनौपचारिक रूप से इसी का सर्वे करना है.
एक रोड बनाने वाले कांट्रेक्टर को योजना की 40 फीसदी राशि नेताओं व अधिकारियों को चढ़ावा देने में चली जाती है. बाकी बची राशि में काम भी करना है और कांट्रेक्टर का मुनाफा भी है. इस तरह बनी सड़क दो साल में ही जर्जर हो जायेगी. ऐसे में देश विकास कैसे करेगा. हम समाजवाद की बात नहीं कर रहे हैं, परंतु जो पैसे विदेशों में जा रहे हैं, उसे रोकना होगा. बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियां हमारे देश का पैसा विदेशों में ले जा रहे हैं और इनके कारण हमारे छोटे-छोटे उद्योग-धंधे करने वाले लोग बेरोजगार हो रहे हैं. छोटी-छोटी इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलना चाहिए.