रांची: कुड़मी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में सूचीबद्ध कराने को लेकर एक बार फिर से आंदोलन शुरू होगा. इस बार इस आंदोलन के तहत केवल बंगाल में ही ट्रेनें नहीं रोकी जायेंगी. बल्कि ओड़िशा व झारखंड में वृहद पैमाने पर आंदोलन होगा. इन इलाकों में भी रेलवे के परिचालन को पूरी तरह से ठप किया जायेगा़ यह निर्णय रविवार की देर रात को पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम में हुई बैठक में लिया गया.
बैठक की अध्यक्षता कुड़मी समाज, बंगाल केे अध्यक्ष राजेश महतो ने की. बैठक में कुड़मी विकास मोर्चा झारखंड के अध्यक्ष शीतल ओहदार, कुड़मी सेना के अध्यक्ष लालटू महतो, कुड़मी सेना, ओड़िशा के अध्यक्ष जयमुनी मोहंता, सपन महतो, दानी महतो, ओमप्रकाश महतो, सतीश महतो, अशोक महतो सहित सैकड़ों की संख्या में पदाधिकारी उपस्थित थे.
बैठक में पश्चिम बंगाल कुड़मी समाज के अध्यक्ष राजेश महतो ने कहा कि रेल रोको आंदोलन को खत्म कराने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने हमसे यह वादा किया था कि सरकार हमारी मांगों को पूरा करेगी. इसलिए आंदोलन को खत्म किया गया. अब त्योहार का समय चल रहा है. इसलिए सरकार को दो माह का समय दिया गया है. अगर नवंबर तक सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो आंदोलन एक बार फिर से वृहद रूप से किया जायेगा.
कुड़मी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने समेत अन्य मांगों को लेकर कुड़मी/ कुरमी मोर्चा के बैनर तले 20 से 24 अक्तूबर तक रेल रोको आंदोलन हुआ था. कुड़मी नेता अनूप महतो ने कहा था कि दुर्गा पूजा को देखते हुए जनहित में आंदोलन वापस लिया गया है. इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी लड़ाई खत्म हो गयी है. केंद्र सरकार ने इन मांगों को पूरा नहीं किया तो फिर आंदोलन होगा. इस रोल रोको आंदोलन में कुड़मी समाज ने अपनी शक्ति का एहसास करा दिया है.