ST Status to Kurmis: झारखंड, पश्चिम बंगाल व ओड़िशा के कुड़मी समाज के प्रतिनिधिमंडल ने कुड़मी को आदिवासी (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग की है. इस संबंध में समाज के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) को एक ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को बताया कि 1913 में प्रकाशित इंडिया गजट नोटिफिकेशन नंबर 550 में कुड़मी जनजाति को एवोरिजनल एनिमिस्ट मानते हुए छोटानागपुर के कुड़मियों को अन्य आदिवासियों के साथ भारतीय उत्तराधिकारी कानून 1865 के प्रावधानों से मुक्त रखा गया.
इनको रखा गया था भारतीय उत्तराधिकार कानून 1925 से मुक्त
ज्ञापन में आगे कहा गया है कि 16 दिसंबर 1931 को प्रकाशित बिहार- ओड़िशा गजट नोटिफिकेशन नंबर 49 पटना में भी बिहार – ओड़िशा में निवास करने वाले मुंडा, उरांव, संथाल, हो, भूमिज, खड़िया, घासी, गौंड, कांध, कौरआ, कुड़मी, माल, सौरिया और पान को प्रिमिटिव ट्राइब मानते हुए भारतीय उत्तराधिकार कानून 1925 से मुक्त रखा गया.
कुड़मियों ने 1921 तक की जनगणना का दिया है हवाला
इसमें यह भी कहा गया है कि उपरोक्त के अलावा जनगणना रिपोर्ट 1901 (Census Report 1901), जनगणना रिपोर्ट 1911 (Census Report 1911) व जनगणना रिपोर्ट 1921 (Census Report 1921) में भी स्पष्ट रूप से कुड़मी जनजाति को एवोरिजनल एनिमिस्ट (Kurmi Tribe Aboriginal Animist) के रूप में दर्ज किया गया. इसके अलावा बहुत सारे दस्तावेज होने के बावजूद कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर रखा गया है, जिसके कारण आज यह जनजाति अन्य सभी जनजातियों से रोजगार शिक्षा के साथ-साथ राजनीतिक भागीदारी में अंतिम पायदान पर चल गया है.
प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे ये लोग
इसलिए जल्द से जल्द कुड़मी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल कराने की दिशा में सरकार को दिशा-निर्देश दिया जाये. प्रतिनिधिमंडल में सुजाता मोहंता, प्रेमलता महतो, सुकुमारी मोहंता, शांति लता महतो, पार्वती मोहंता व अन्य शामिल थीं.