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कुड़मी आंदोलन को देख रांची रेल मंडल ने चार ट्रेनें रद्द कीं

संबंधित जिलों में पुलिस और प्रशासन के अलावा रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. इसके बावजूद, रेल यात्रियों की परेशानी की आशंका बनी हुई है.

रांची : कोलकाता हाइकोर्ट के आदेश के बाद पश्चिम बंगाल में कुड़मी समाज ने आंदोलन वापस ले लिया है. इसके साथ ही दक्षिण-पूर्व रेल मुख्यालय ने पूर्व में रद्द, डायवर्ट और शॉर्ट टर्मिनेट घोषित की गयी सभी ट्रेनों को रीस्टोर करने की घोषणा कर दी है. इधर, झारखंड और ओडिशा में कुड़मी समाज का आंदोलन तय समय और कार्यक्रम के अनुसार ही होगा. ऐसे में न केवल झारखंड व ओडिशा, बल्कि पश्चिम बंगाल से चलनेवाली 175 से ज्यादा ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होने की आशंका है. वहीं, सैकड़ों मालगाड़ी के पहिये भी थम सकते हैं. इसे देखते हुए रांची रेल मंडल ने अपने स्तर से चार ट्रेनें रद्द करने की सूचना जारी की है.

इधर, संबंधित जिलों में पुलिस और प्रशासन के अलावा रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं. इसके बावजूद, रेल यात्रियों की परेशानी की आशंका बनी हुई है. इनमें कई ऐसी ट्रेनें हैं, जो 19 सितंबर को गंतव्य के लिए रवाना हो चुकी हैं. वहीं, कई ट्रेनें 20 सितंबर को रवाना होनेवाली हैं. आंदोलन के बीच ट्रेन व हाइवे पर वाहनों का निर्बाध परिचालन कराना रेलवे और जिला पुलिस व प्रशासन के लिए चुनौती होगी.

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07052 — रक्सौल-सिकंदराबाद एक्सप्रेस

13404 — भागलपुर-रांची एक्सप्रेस

15028 — गोरखपुर-हटिया एक्सप्रेस

15662 — कामाख्या-रांची एक्सप्रेस

रेल-रोड चक्का जाम राष्ट्रहित के खिलाफ : सालखन

रांची : आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने 20 सितंबर से रेल-रोड चक्का जाम का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह जोर- जबरदस्ती है और राष्ट्रहित के खिलाफ है. इसके लिए झारखंड में झामुमो, ओडिशा में बीजू जनता दल और बंगाल में तृणमूल कांग्रेस पार्टी ज्यादा दोषी है. क्योंकि वोट बैंक के लोभ में इन पार्टियाें ने कुरमी/महतो जैसे समृद्ध गैर आदिवासी जाति को एसटी बनाने का झांसा दिया. सालखन मुर्मू मंगलवार को सरायकेला में सेंगेल अभियान के कार्यकर्ताओं की बैठक में बोल रहे थे.

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