रांची : जमशेदपुर स्थित इंडो डेनिश टूल रूम (आइडीटीआर) के अधिकारी के पारिवारिक सदस्यों ने बैंक से लिये गये लाखों के कर्ज को एक दिन में ही चुका दिया. लाखों रुपये के कुछ कर्ज आठ महीने में चुकाने का कीर्तिमान भी स्थापित किया गया, वह भी नकद. आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में फंसे टूल रूम के डीजीएम आशुतोष कुमार के मामले की सीबीआइ जांच में इसका खुलासा हुआ है.
जांच रिपोर्ट के अनुसार, आशुतोष कुमार ने अपने और पारिवारिक सदस्यों के नाम आय से अधिक 1.96 करोड़ रुपये की संपत्ति जमा की. साथ ही बचाव के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया. अपनी पत्नी चयनिका कुमारी और रिश्तेदार केशव वत्स के नाम पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (आदित्यपुर ब्रांच) से कर्ज लिया. इसे फिक्स डिपॉजिट किया और संपत्ति खरीदी. इसके बाद कर्ज की अधिकांश रकम को नकद जमा कर कम से कम समय में चुका दिया. कर्ज लेने और उसे कम से कम समय में चुकाने के 10 मामले सीबीआइ जांच में सामने आये हैं. जांच में यह भी पाया गया कि आशुतोष के रिश्तेदार केशव वत्स की आमदनी इतनी नहीं थी कि वह लाखों के कर्ज को कम समय में चुका दे. सीबीआइ जांच से पहले केशव ने कभी आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया.
ऐसे हुआ पैसे का खेल : जांच में पाया गया कि चयनिका कुमारी के फिक्स डिपॉजिट को गिरवी रख कर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से केशव के नाम पर 10 लाख रुपये का कर्ज लिया गया. इसे भी फिक्स कर दिया गया. इसके बाद सिर्फ छह महीने में कर्ज व सूद सहित 10.41 लाख रुपये की रकम चुका दी. इतना ही नहीं 10.41 लाख रुपये में से 7.85 लाख रुपये नकद चुकाया. 31 जुलाई 2013 को लिये गये 10 लाख के कर्ज को तीन अगस्त से चुकाना शुरू कर दिया. तीन अगस्त को दो बार में 1.50 लाख रुपये नकद जमा किये. इस तरह 15 जनवरी 2014 तक नकद 7.85 लाख और शेष रकम चेक से जमा कर छह महीने में कर्ज चुका दिया. 15 नवंबर 2010 को पांच लाख रुपये का कर्ज लिया. इसे सूद सहित सिर्फ 30 दिन में यानी 15 दिसंबर 2010 को चुका दिया.
इसमें से 90 हजार रुपये नकद जमा किये. आशुतोष के पारिवारिक सदस्यों और रिश्तेदारों ने 11.20 लाख रुपये के कर्ज को सिर्फ नौ महीने में सूद सहित कुल 11.64 लाख रुपये चुका दिये, वह भी नकद. आठ दिसंबर 2014 को लिये गये पांच लाख के कर्ज को नौ दिसंबर 2014 को ही चुका कर लोन अकाउंट बंद करा दिया. 15 जनवरी 2014 को लिये गये 16.10 लाख के कर्ज को सिर्फ आठ महीने में तीन सितंबर 2014 को सूद सहित कुल 16.61 लाख रुपये चुका दिये. इसमें 16.56 लाख रुपये नकद चुकाया.