सीओ स्तर से लिये जा रहे गलत निर्णय के कारण रांची में जमीन विवाद के मामले बढ़ रहे हैं. निरीक्षण के दौरान यह मामला सामने आया है. इसके मुताबिक म्यूटेशन के आवेदन स्वीकृत करने के दौरान अंचल पदाधिकारी के स्तर से जमीन विक्रेता के मूल जमाबंदी (रजिस्टर टू) से जमीन कम नहीं किया जा रहा है. इस वजह से एक जमीन का कई बार निबंधन किया जा रहा है और विवाद बढ़ रहा है. इसे लेकर प्रमंडलीय आयुक्त मनोज जायसवाल ने विभाग को रिपोर्ट भेजी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि किसी भी व्यक्ति द्वारा जमीन की बिक्री कर गयी है और उसके बाद उक्त जमीन का म्यूटेशन हो रहा है, तो कायदे से म्यूटेशन के साथ ही मूल जमाबंदी से जमीन कम कर दिया जाना चाहिए. पर ऐसा नहीं किया जा रहा है. इस कारण जालसाजी कर फिर से उसी जमीन को बेचने की संभावना बनी रहती है. इसी गलती के कारण सक्रिय जमीन दलाल और बिचौलियों को मौका मिलता है. आयुक्त ने म्यूटेशन आवेदन को स्वीकृत करने के समय ही इस पहलू पर ध्यान देने की आवश्यकता बतायी है. कहा है कि अंचल कार्यालय का फोकस जमीन संबंधित विवाद को कम करने पर होना चाहिए. इसलिए इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि अंचल कार्यालय के स्तर से ऐसा कोई निर्णय न लिया जाये, जो जमीन विवाद बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो.
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जमीन विवाद को रोकने के लिए पुलिस ने रांची में जमीन के कारोबार से जुड़े लोगों की कुंडली बनाना शुरू कर दिया है. इसके तहत जमीन कारोबार से जुड़े लोगों को अपना बैंक खाता का विवरण, अपना और अपने परिवार के लोगों की संपत्ति का ब्योरा, तीन साल का इनकम टैक्स रिटर्न, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड व आधार कार्ड की प्रति संबंध क्षेत्र के थाने में जमा करना होगा. इसके अलावा जमीन कारोबारियों को कार, ट्रक, बाइक आदि का रजिस्ट्रेशन नंबर, मालिक का नाम व उसका मूल्य भी बताना होगा.