Jharkhand News: झारखंड में अब ऐसे होगी जमीन की रजिस्ट्री, खतियान नहीं होने पर आपके पास क्या है विकल्प?

अब झारखंड में जमीन की रजिस्ट्री विभाग द्वारा तैयार चेक लिस्ट के आधार होगी. चेक लिस्ट के अनुसार सबसे पहले आपकी खतियान की कॉपी सत्यापित की जाएगी. खतियान न होने पर भी आपके पास कई विकल्प होगा.

By Prabhat Khabar News Desk | July 3, 2022 8:28 AM
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Land Registration In Jharkhand रांची: झारखंड में अब जमीन की रजिस्ट्री विभाग द्वारा तैयार चेक लिस्ट के आधार पर की जायेगी. चेक लिस्ट के अनुसार सबसे पहले खतियान की सत्यापित कॉपी देखी जायेगी. अगर खतियान की सत्यापित कॉपी उपलब्ध न हो, तो भी रजिस्ट्री के लिए वैकल्पिक दस्तावेज का रास्ता अपनाया गया है. इस संबंध में राज्य के निबंधन महानिरीक्षक विप्रा भाल ने भूमि निबंधन को लेकर सभी उपायुक्तों सह जिला निबंधकों को निर्देश दिया है.

उन्होंने सभी अवर निबंधकों को कार्यालय में निबंधन के लिए चेक लिस्ट उपलब्ध कराने को कहा है. विभाग की ओर से आठ बिंदुओं पर चेक लिस्ट तैयार की गयी है. इसी चेक लिस्ट के आधार पर जमीन का निबंधन कार्य होगा. इसमें जमीन के निबंधन के पूर्व दस्तावेज का मिलान चेक लिस्ट से किया जायेगा, उसके बाद ही रजिस्ट्री की जायेगी.

खतियान नहीं होने पर अपनाये जायेंगे ये विकल्प :

यह लिखा गया है कि खतियान की सत्यापित प्रति नहीं होने पर सीओ ऑफिस से ई-मेल के माध्यम से प्राप्त सीओ द्वारा प्रमाणित पंजी-2 या भू स्वामित्व प्रमाण पत्र या शुद्धि पत्र होना चाहिए. यह भी ऑप्शन दिया गया है कि अगर सीओ द्वार जारी प्रमाण पत्र अप्राप्त है, तो सीओ कार्यालय में दिये गये आवेदन की प्राप्ति रसीद को ही लगा दी जाये. भूमि से संबंधित हाल सर्वे का नक्शा या स्व प्रमाणित नक्शा, जिससे भूमि की स्थिति के बारे में पता चले. पंजी-2 का वॉल्यूम और पृष्ठ संख्या हो. मुद्रांक और निबंधन शुल्क का भुगतान, आधार और पैन सत्यापन तथा शहरी क्षेत्र होने पर होल्डिंग संख्या हो. इन्हीं दस्तावेज पर निबंधन करना है.

भूमि की पहचान में नहीं की जायेगी टाइटल की जांच

निबंधन महानिरीक्षक ने स्पष्ट किया है कि भूमि की पहचान के क्रम में निबंधन पदाधिकारी द्वारा टाइटल की जांच नहीं की जायेगी. केवल चेक लिस्ट को टिक मार्क कर निबंधन किया जायेगा. निबंधन पदाधिकारी रजिस्ट्री के पहले दस्तावेज के साथ संलग्न भू-अभिलेखों का ऑनलाइन सत्यापन भी करेंगे. यह भी निबंधन पदाधिकारी द्वारा देखा जायेगा कि भूमि प्रतिबंधित श्रेणी यानी गैरमजरुआ भूमि, वन भूमि आदि का अवैध हस्तांतरण न हो. साथ ही सीएनटी एक्ट के अंतर्गत आने वाली भूमि न हो, तभी निबंधन किया जायेगा.

Posted By: Sameer Oraon

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