रांची में जमीन देने के नाम पर स्कैम : बिहार, झारखंड समेत 4 राज्यों के 413 पूर्व सैनिकों को लगाया 22 करोड़ का चूना
Land Scam in Ranchi: बिहार, झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के 413 पूर्व सैनिकों से रांची में जमीन देने के नाम पर 22 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी हुई है.
Land Scam in Ranchi: रांची में जमीन देने के नाम पर बड़ा घोटाला हुआ है. बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के 413 पूर्व सैनिकों को करीब 22 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया है. झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने अब इस मामले में सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं. बोकारो में रहने वाले रामाकांत सिंह ने शिकायत की है कि ‘सैनिक वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन इंडिया’ (एसडब्ल्यूओ) के नाम पर पूर्व सैनिकों से धोखाधड़ी हुई है. पुलिस मुख्यालय के एसपी (ऑपरेशन) ने सीआईडी के एएसपी दीपक कुमार को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि शिकायत में दिये गये तथ्यों की जांच कर आगे की कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करें.
रमाकांत सिंह की शिकायत में क्या?
शिकायत में रमाकांत सिंह ने कहा है कि सैनिक वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन (एसडब्ल्यूओ) इंडिया के जरिये ने रांची के पिठोरिया थाना अंतर्गत जमुवारी (बारू) में प्लॉट लेने के लिए 413 भूतपूर्व सैनिकों ने पंजीकरण कराया था. इनमें कई भूतपूर्व सैनिक डीवीसी बोकारो थर्मल और अन्य केंद्रीय संस्थानों में कार्यरत हैं. जमीन के एवज में वर्ष 2010 से 2012 तक 4 किस्तों में उन लोगों ने सैनिक वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन को 22 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया था.
18 से 24 माह में प्लॉट देने का था किया था वादा
शिकायतकर्ता ने कहा है कि एसडब्ल्यूओ ने रांची में विज्ञापन निकाला था. इसमें कहा गया था कि 18 से 24 माह में प्लॉट को डेवलप किया जाएगा. पंजीकरण कराने वालों को इतने समय के बाद जमीन दे दी जायेगी. लेकिन, आज तक एसडब्ल्यूओ ने किसी को प्लॉट नहीं दिया.
रांची कोर्ट ने दिया था 111 पीड़ितों का पैसा वापस करने का आदेश
इसके बाद 413 भूतपूर्व सैनिकों और अन्य कर्मचारियों ने मिलकर एक टीम का गठन किया. बोकारो थर्मल निवासी रामाकांत सिंह को इसका अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद रामाकांत सिंह ने पिठोरिया थाना में केस दर्ज कराया. रांची कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मध्यस्थता का आदेश दिया. 30 जनवरी 2017 को हुई मध्यस्थता के दौरान यह निर्णय हुआ कि 29 जुलाई 2017 तक पहले चरण के 111 पीड़ितों को उनके पैसे का भुगतान कर दिया जायेगा. समय पूरा होने के बाद भी ऐसा नहीं हुआ.
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SWO के पदाधिकारियों के खिलाफ केस बंद करने की सिफारिश
इसके बाद कोर्ट ने एसडब्ल्यूओ के डेवलपर दीपक कुमार पाठक और पीएलओ (पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर) मनोज कुमार सिंह को जेल भेजने का आदेश दिया. बाद में दोनों को हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी. कोरोना काल के बाद रांची कोर्ट में सभी की गवाही पूरी हो गई, लेकिन आज तक केस के अनुसंधानकर्ता की गवाही नहीं हुई. वहीं, एसडब्ल्यूओ के चेयरमैन सहित अन्य पदाधिकारियों, जो प्राथमिकी में नामजद थे, उनको पुलिस ने एफआरटी (केस बंद करने की सिफारिश) कर दिया.
पिठोरिया पुलिस ने की थी केस बंद करने की अनुशंसा
शिकायतकर्ता रामाकांत सिंह ने आरोप लगाया है कि पिठोरिया थाना में दर्ज केस में एसडब्ल्यूओ के चेयरमैन रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल राकेश राणा (द्वारिका, नयी दिल्ली), इनकी पत्नी डायरेक्टर सरोज राणा, साइनिंग अथॉरिटी उर्मिल शेहरावत, रिटायर्ड कर्नल एके चोपड़ा, अंकिता शेहरावत और रिटायर्ड सूबेदार मेजर धर्मवीर सिंह (मौत हो चुकी है) के नामजद होने के बाद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. पिठौरिया पुलिस ने सभी के खिलाफ केस में एफआरटी यानी इनके खिलाफ केस को बंद करने की अनुशंसा कर दी. रामाकांत सिंह ने कहा है कि फिर से एसडब्ल्यूओ इंडिया में 3 नये डायरेक्टर धनराज सिंह, जगजीत सिंह और पूनम आनंद की नियुक्ति की गयी है.
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रजिस्ट्री सही ढंग से नहीं हुई है -रामाकांत सिंह
शिकायतकर्ता रामाकांत सिंह ने कहा है कि एसडब्ल्यूओ ने 413 व्यक्तियों में से 107 के प्लॉट की रजिस्ट्री भी नहीं की है. जिन लोगों की रजिस्ट्री हुई भी है, उनमें से अधिकांश की रजिस्ट्री गलत है.
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