रांची के विश्रामपुर में भू-धंसान से निकल रहा धुआं, ग्रामीण अनहोनी को लेकर हैं सशंकित

अब अंदर केवल कोयले की सतह बच गयी है. जगह-जगह मुहाने खुले हैं, जिससे हवा के कोयले के संपर्क में आने से आग लग गयी है. इस कारण जहां-जहां जमीन की सतह कमजोर मिलती है

By Prabhat Khabar News Desk | September 21, 2023 1:27 PM

खलारी के विश्रामपुर में एक बार फिर भू-धंसान का मामला प्रकाश में आया है. जिस हिस्से में भू-धंसान हुआ, वहां बड़ा गड्ढा बन गया है और उससे लगातार धुआं निकल रहा है. इसके कारण ग्रामीण अनहोनी को लेकर सशंकित हैं. इससे पहले भी इस इलाके में भू-धंसान की घटनाएं घट चुकी है. जहां भू-धंसान हुआ है, वहां पूर्व में भूमिगत खदान का बत्ती घर हुआ करता था.

आज वे पूरा इलाका झाड़ियों से पटा है. जानकारी के अनुसार उस इलाका में सीसीएल द्वारा चार दशक पूर्व भूमिगत खदान चलाया गया था, जबकि करकट्टा-विश्रामपुर क्षेत्र में कई भूमिगत चलाया गया था. खदान बंद होने के बाद भूमिगत खदान में पानी भर गया था. लेकिन जब केडीएच खदान के विस्तारीकरण के क्रम में इन बंद भूमिगत खदानों को मिलाने की शुरुआत की गयी तो भूमिगत खदान में जमा पानी निकल गया.

अब अंदर केवल कोयले की सतह बच गयी है. जगह-जगह मुहाने खुले हैं, जिससे हवा के कोयले के संपर्क में आने से आग लग गयी है. इस कारण जहां-जहां जमीन की सतह कमजोर मिलती है, वहां जमीन फट कर या जमींदोज होकर गैसयुक्त धुआं निकल रहा है. यह हाल सिर्फ इस इलाकों का हीं नहीं, अपितु करकट्टा, विश्रामपुर, जेहलीटांड़, जामुनदोहर और खिलानधौड़ा में भू-धंसान की घटनाएं आये दिन होती रहती है, जिसका मूल कारण खुली और बंद भूमिगत खदान है.

एक अक्तूबर से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठेंगे : रैयत

विश्रामपुर के रैयत रतिया गंझू इस समस्या को लेकर एक अक्तूबर से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठेगे. श्री गंझू ने कहा कि केडीएच खदान विस्तारीकरण में बंद भूमिगत खदानों के मुहाने खुल गये. जिसका परिणाम हुआ कि यहां के लोगों को प्रतिदिन समस्या से जूझना पड़ रहा है. उन्होंने जामुनदोहर के साथ करकट्टा, विश्रामपुर और खिलानधौड़ा को एकसाथ सीसीएल प्रबंधन से विस्थान की मांग की है. कहा कि एक अक्तूबर से बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के बैनर तले जामुनदोहर में अपनी जमीन पर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठेंगे.

Next Article

Exit mobile version