राँची: मंगलवार को झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, आदित्य प्रकाश जालान टीचर्स ट्रेनिंग महाविद्यालय, विद्या भारती उच्च शिक्षण संस्थान एवं भारतीय भाषा समिति (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय भाषा सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन की शुरुआत में सम्मेलन समन्वयक प्रो. विमल किशोर ने स्वागत वक्तव्य दिया तथा डॉ. रामकिशोर सिंह ने शॉल एवं पेंटिंग देकर अतिथियों का स्वागत किया. अध्यक्षीय उद्बोधन में सीयूज़े के कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने कहा, भारत के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विकास के लिए भारतीय भाषाओं का विकास अनिवार्य है. भारतीय भाषाओं के बिना समावेशी विकास संभव नहीं हो सकता. समाज की समस्याओं को उनकी भाषाओं में ही समझा जा सकता है. आज हम सतत विकास की बात करते हैं जिसकी प्राप्ति मातृभाषा से ही संभव है. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि युवा राष्ट्र की संपदा के तरह है तथा युवा संपदा का सर्वांगीण विकास भारतीय भाषाओं से ही संभव है.
सम्मेलन में श्री चमू कृष्ण शास्त्री, अध्यक्ष भारतीय भाषा समिति का ऑनलाइन संदेश प्रेषित किया गया. अपने संदेश में उन्होंने एक भारत, श्रेष्ठ भारत के लिए भारतीय भाषा के प्रचार पर बल दिया.
मुख्य अतिथि ने भाषा बचाव का दिया मंत्र
सम्मेलन के मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित विद्या भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री माननीय के. एन. राघुनन्दन ने कहा, भाषा को सेमिनार से नहीं संवाद से बचाया जा सकता है. हमें भाषायी विविधता की महत्ता को समझते हुए देश की भाषाओं को सीखना चाहिए तथा भारतीय भाषा में ही आपस में संवाद करना चाहिए. विद्यार्थियों को भारतीय भाषाओं को सीखने पर ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान देना चाहिए.
सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के तौर आमंत्रित श्री राम अवतार नरसरिया ने कहा, भाषा संस्कृति का भाग है. अगर भाषा संवर्धित नहीं होगी तो कोई भी देश विकसित नहीं हो सकता है. हर भारतीय भाषा मातृभाषा है. दूसरी भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान का संकल्प हम सभी को लेना चाहिए.
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन आदित्य प्रकाश जालान टीचर्स ट्रेनिंग महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रामकेश पांडेय द्वारा दिया गया तथा मंच संचालन हिन्दी अधिकारी डॉ. उपेन्द्र सत्यार्थी द्वारा किया गया.
कार्यक्रम में ये हुए शामिल
सम्मेलन में डॉ. चंदन श्रीवास्तव, डॉ. सुदर्शन यादव, डॉ. रजनीकांत पांडेय, डॉ. नीतेश भाटिया, डॉ. विजय कुमार यादव, डॉ. प्रज्ञा शुक्ला, डॉ. जगदीश सौरभ के साथ साथ प्रतिभागीगण और विश्वविद्यालय के विद्यार्थी एवं शिक्षक शामिल हुए.