झारखंड से नक्सलियों के सफाए के लिए सुरक्षा बलों ने कमर कस ली है. बोकारो जिले के झुमरा पहाड़ और झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित घोर नक्सल प्रभावित बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराने के बाद अब सारंडा की बारी है. कोल्हान प्रमंडल के सारंडा के जंगलों में इस वक्त कई बड़े नक्सली नेता छिपे हुए हैं. इन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए जगह-जगह लैंडमाइंस बिछा रखे हैं, जिसकी चपेट में आने से कई ग्रामीणों की मौत हो चुकी है. कई बार सुरक्षा बलों के जवान भी इसकी चपेट में आ जाते हैं. सुरक्षा बलों को सिर्फ सारंडा में ही नक्सलियों से चुनौती मिल रही है. दुर्गम इलाका होने की वजह से भी जवानों को यहां ऑपरेशन चलाने में परेशानी होती है. पुलिस का कहना है कि नक्सलियों ने ग्रामीणों को अपने सुरक्षा चक्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इसलिए पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान उतनी तेजी से नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन नहीं चला पा रहे हैं. लेकिन, जगह-जगह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप स्थापित किए जा रहे हैं, जिसके बाद नक्सलियों के सफाए के अभियान में तेजी आएगी. इसी उद्देश्य से मनोहरपुर के तिरिलपोसी गांव में सीआरपीएफ का एक नया कैंप स्थापित किया गया है. यहां सीआरपीएफ बटालियन-134 की दो कंपनियां तथा झारखंड जगुआर की एक कंपनी को तैनात किया गया है.
पुलिस और सुरक्षा बलों का कहना है कि तिरिलपोसी में सीआरपीएफ कैंप स्थापित होने से नक्सल विरोधी अभियान चलाने और क्षेत्र में विकास कार्यों के संचालन में आसानी भी होगी और तेजी भी आएगी. बताया जा रहा है कि सारंडा के तिरिलपोसी, बिटकिलसोय, बालिबा समेत सारंडा की अन्य जगहों पर पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा कई दिनों से सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस अभियान के लंबा चलने की संभावना है. अभियान में सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर, कोबरा तथा जिला पुलिस की 20 से अधिक कंपनियों को लगाया गया है. इसमें तीन हजार से अधिक जवानों को लगाया गया है, ऐसा बताया जा रहा है.
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नक्सलियों के खिलाफ लगातार चल रहा है ऑपरेशन
लगातार चल रहे इस नक्सल विरोधी ऑपरेशन में अब तक सुरक्षा बलों को कितनी सफलता मिली है, इसके बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है. जानकारी के मुताबिक, झारखंड-ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्र मनोहरपुर प्रखंड के गांव नयागांव में भी सीआरपीएफ कैंप स्थापित करने की योजना है. बता दें कि कोल्हान प्रमंडल के पश्चिमी सिंहभूम जिले के जंगलों में मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछु, चमन, कांडे, अजय महतो, सागेन अंगरिया, अश्विन सरीखे बड़े नक्सली नेता अपने दस्ते के साथ सक्रिय हैं.
सुरक्षा बलों के जवान उन तक न पहुंच पाएं, इसके लिए प्रतिबंधित भाकपा माओवादी नक्सली संगठन ने कोल्हान सुरक्षित वन में आईईडी लगा रखे हैं. हाल ही में कई आईईडी बरामद हुए हैं. यही वजह है कि सुरक्षा बलों को बेहद सावधानीपूर्वक कदम बढ़ाना पड़ रहा है. लैंडमाइंस को ध्यान में रखते हुए वे ऑपरेशन चला रहे हैं. जहां भी आईईडी मिलता है, उसे वहीं नष्ट करते चलते हैं.
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पुलिस का दावा है कि कोल्हान में टोंटो और गोइलकेरा थाने के 95 प्रतिशत इलाके को नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त करा लिया गया है. इन इलाकों में लगे आईईडी को नष्ट करना बाकी है. बता दें कि अब तक 120 से ज्यादा आईईडी बरामद हो चुके हैं. इन्हें सुरक्षा बलों ने नष्ट कर दिया है. कई ऐसी घटनाएं भी हुईं हैं, जिसमें जवान आईईडी की चपेट में आकर घायल हुए हैं. कम से कम 11 ग्रामीणों की आईईडी विस्फोट में मौत हो चुकी है. ज्ञात हो कि टोंटो और गोइलकेरा थाना क्षेत्र में सक्रिय सेंट्रल कमेटी के नक्सली सारंडा के जंगल में शिफ्ट हो गए हैं. इसलिए सुरक्षा बलों ने पूरा ध्यान सारंडा के जंगल में केंद्रित कर दिया है.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि कोल्हान के तलाईबेड़ा, राजाबासा, पांतीउला जंगल, अंजेदबेड़ा, तुंबाहाका, हुसीपी, सारजेमबुरू, रेंगरा, पाटातारोब, लेम्साडीह, बोइपाई, सिरजंग, हाबीबुरू, माईलपी, रेगड़ा, मेरालगढ़ा और इचाहातू गांव सहित गोइलकेरा थाना क्षेत्र के कुछ इलाके में नक्सलियों का प्रभाव था. अब उनका प्रभाव लगभग खत्म हो गया है. बाकी के पांच इलाकों से भी नक्सलियों को खदेड़ने के लिए जवानों का ऑपरेशन जारी है.
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कोल्हान के जंगलों में सेंट्रल कमेटी के शीर्ष नक्सली मिसिर बेसरा, अनल दा के अलावा असीम, चमन, बुद्धराम, मोछू, अमित मुंडा, कांडे होनहागा, सुशांत, संदीप, अपटन, सांगेन अंगरिया, अश्विन, गुलशन, प्रभात मुंडा, चंदन लोहरा, जयकांत, बबीता, रीपा, निर्मला, लालू, मंदीप, माला, रोहित, सोहन, सनत, रीता, पूनम, इसराइल, अमन, पगल सहित अन्य हार्डकोर नक्सलियों के अलावा उनके दस्ते के सदस्य सक्रिय थे.