राजधानी के लाफ्टर क्लब हंसने-हंसाने के बने ठिकाने
आज की भागमभाग की जिंदगी में हम लोगों पर तनाव हावी हो गया है. दबाव इतना ज्यादा है कि लोग हंसना भूल गये हैं. लेकिन स्वस्थ रहने के लिए हंसना और हंसाना आवश्यक है. हमारी हंसी काफी हद तक तनाव कम करती है.
रांची. आज की भागमभाग की जिंदगी में हम लोगों पर तनाव हावी हो गया है. दबाव इतना ज्यादा है कि लोग हंसना भूल गये हैं. लेकिन स्वस्थ रहने के लिए हंसना और हंसाना आवश्यक है. हमारी हंसी काफी हद तक तनाव कम करती है. यह हमारे जीवन जीने के रास्ते को आसान बनाती है. आज वर्ल्ड लाफ्टर डे पर हम आपको हंसी की अहमियत से रू-ब-रू कराने की कोशिश कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि आज के दौर में लोग हंसी के लिए लाफ्टर क्लब ज्वाइन कर रहे हैं. हंसने के बहाने ढूंढ़ रहे हैं. खुश रहने की कोशिश कर रहे हैं. राजधानी में कई सामूहिक लाफ्टर क्लब यानी हंसी के ठिकाने हैं, जो हंसने और हंसाने में मदद कर रहे हैं. इन हंसी के ठिकानों पर लोग हंस कर और ठहाका लगाकर तनाव को दूर करने की कोशिश करते हैं.
हंसना सिखाता है ठहाका मिलन ग्रुप
रांची के कलाकारों का ठहाका मिलन ग्रुप ऐसे रंगकर्मियों का समूह है, जो आपको हंसाना सिखाता है. यहां आप सदस्यों से हंसने की कला सीख सकते हैं. इनका मकसद है कि विभिन्न नाट्य दलों के कलाकारों के बीच सौहार्दपूर्ण समन्वय बने. सभी एक-दूसरे की मदद करें और सभी कलाकार स्वस्थ रहें. सबमें एक पारिवारिक रिश्ता बना रहे. इन्हीं अवधारणाओं और उद्देश्यों के साथ ठहाका मिलन समूह का आगाज़ रांची विवि के दर्शनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर, लघु फ़िल्म निर्माता और वरिष्ठ रंगकर्मी कलाकार डॉ सुशील कुमार अंकन ने सितंबर 2022 में किया था . तब से लेकर अब तक ठहाका ग्रुप का संचालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है. विभिन्न नाट्य दलों द्वारा किये जा रहे कार्यक्रमों और भावी योजनाओं से एक दूसरे को परिचित कराना भी इस कार्यक्रम का हिस्सा है. हर माह के अंतिम रविवार को रंगमंच के कलाकारों का सामूहिक ठहाका कार्यक्रम किसी एक रंगकर्मी के नेतृत्व में आयोजित होता है. अब तक मासिक ठहाका मिलन के आयोजन रंगकर्मी डॉ कमल बोस, राकेश रमण, रीना सहाय, कुमकुम गौड़, खुकुरानी दास, ऋषिकेश लाल, कैलाश मानव, फजल इमाम, डॉ मधुरेश चंद्र, डॉ सुशील अंकन, गौरीशंकर शर्मा, राकेश चंद्र गुप्ता, राजीव सिन्हा और डॉ अनिल ठाकुर सुमन के नेतृत्व में संपन्न हो चुके हैं. आनेवाले दिनों में शशिकला पौराणिक, सुरेंद्र वर्मा, झरना चक्रवर्ती सहित अन्य कई रंगकर्मियों के नाम पर ठहाका मिलन का आयोजन होना है. ठहाका मिलन समूह में अशोक गौड़, विश्वनाथ प्रसाद, शिशिर पंडित, नरेश प्रसाद, मधुरेश चंद्र, वीणा कौशिक, विनोद जायसवाल, राकेश रमण, रीना सहाय, अनिल ठाकुर, ऋषिकेश लाल, सूरज खन्ना, आशुतोष प्रसाद, कैलाश मानव, अशोक गोप, भरत अग्रवाल, अनिकेत भारद्धवाज और उमेश चंद्र जैसे रंगकर्मी भी शामिल हैं.
हंसकर से तनाव दूर करता है मॉर्निंग वाकर्स परिवार
रांची के शहीद संकल्प वाटिका मॉर्निंग वॉकर्स परिवार के अंतर्गत चलनेवाले लाफ्टर क्लब के सदस्य दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. इस परिवार के सदस्य सुबह में मॉर्निंग वॉक के बाद योग साधना प्रणायाम के बाद एकजुट होकर ठहाका लगाते हैं. परिवार में 20 सदस्य हैं, जो रोज मॉर्निंग वॉक के बाद यहां एकजुट होकर लाफ्टर थेरेपी करते हैं. एक-दूसरे को देखकर खुद ब खुद हंसी आने लगती है. यही नहीं, परिवार के वरीय सदस्य गजेंद्र सिंह गब्बर का डायलॉग बोल कर मॉर्निंग वॉकर्स को हंसाते हैं. दस मिनट की हंसी में परिवार अपना सारा दुख दर्द भूल बैठता है. दूसरों को भी हंसने के लिए प्रेरित करता है. परिवार के एडवोकेट केके दयाल बताते हैं कि रविवार के दिन तो लगभग 100 लोग सामूहिक रूप से ठहाका लगाने के लिए जुट जाते हैं. जिससे लोगों को जीने की ताकत मिल रही है.
महिला मॉर्निंग वॉकर्स क्लबवालों को लाफ्टर थेरेपी रखता है फ्रेश
महिला मॉर्निंग वॉकर्स क्लब की सदस्य पिछले दस सालों से मोरहाबादी मैदान में सुबह की सैर पर निकल रही हैं. इस क्लब में हाउस वाइफ और वर्किंग लेडीज शामिल हैं. ये भागदौड़ भरी जिंदगी से वक्त निकाल कर रोज मॉनिंग वॉक के लिए आती हैं. अपनी फिटनेस को लेकर यहां एकत्रित होनेवाली महिलाएं सैर के बाद लाफ्टर थेरेपी करती हैं. जिससे खुशमिजाज रहती हैं. फिर तरोताजा होने के बाद काम पर निकल जाती हैं. क्लब की मोरहाबादी निवासी सदस्य ममता आनंद ने बताया कि वह एक बैंक कर्मी हैं. दिनभर की व्यस्तता में उन्हें लाफ्टर थेरेपी काम करने का बल देती है. क्लब की महिला सदस्य महिला मॉर्निंग वॉकर्स क्लब के माध्यम से काफी आनंद उठाती हैं.
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