रांची की 648 इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की जांच करेगी अधिवक्ताओं की समिति
जलस्रोतों और नदियों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई का मामला
रांची (वरीय संवाददाता). झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों और अन्य जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने राजधानी रांची की 648 बहुमंजिली इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की जांच के लिए छह अधिवक्ताओं की समिति बनायी है. अधिवक्ता कुमार हर्ष, तरुण कुमार महतो, राहुल आनंद, आसिफ खान, बजरंग कुमार व अभिजीत को समिति में शामिल किया गया है. समिति का नेतृत्व अधिवक्ता पीएएस पति व अधिवक्ता विभाष सिन्हा करेंगे. अधिवक्ताओं की समिति के साथ रांची नगर निगम के तीन अभियंता भी रहेंगे, जो तकनीकी रूप से सहयोग करेंगे. उक्त समिति औचक निरीक्षण कर रांची की 648 बहुमंजिली इमारतों (अपार्टमेंट) में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम चालू स्थिति में है या नहीं, इसकी जांच करेगी. जांच के बाद समिति रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगी. खंडपीठ ने रांची के उपायुक्त को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करें कि समिति को जांच करने में किसी प्रकार की बाधा न हो. इसके लिए वह एक नोडल अफसर नामित करें. वहीं, रांची नगर निगम को रांची शहर की जी प्लस थ्री व जी प्लस फोर बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के संबंध में सर्वे कर रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी. रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने पैरवी की. एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम वाले भवनों का स्थल जांच कराने का आग्रह किया था. उल्लेखनीय है कि नदियों और अन्य जल स्रोतों के अतिक्रमण व साफ-सफाई के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए वर्ष 2011 में उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. पूर्व की सुनवाई में रांची नगर निगम की ओर से बताया गया था कि 710 अपार्टमेंट में से 648 में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हुआ है. 62 अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने को कहा गया है. 300 स्क्वायर मीटर या उससे ऊपर के भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग करना अनिवार्य है. इसका पालन नहीं करनेवाले भवन मालिकों व अपार्टमेंट से डेढ़ गुना अतिरिक्त होल्डिंग टैक्स वसूला जा रहा है. इस पर कोर्ट ने नगर निगम से पूछा था कि जिन बहुमंजिली इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है, वह मेंटेन होता है या नहीं.
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