आत्मविश्वास के साथ पढ़ें और अच्छी लेखन शैली को आत्मसात करें: डॉ शांडिल्य
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज एंड लिटरेचर के तत्वावधान में हाउ टू स्टडी लैंग्वेज विषय पर न्यू एकेडमिक बिल्डिंग में मंगलवार को व्याख्यान का आयोजन किया गया.
रांची (वरीय संवाददाता). डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज एंड लिटरेचर के तत्वावधान में हाउ टू स्टडी लैंग्वेज विषय पर न्यू एकेडमिक बिल्डिंग में मंगलवार को व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमें रिसोर्स पर्सन के रूप में डोरंडा कॉलेज के प्राचार्य डॉ राजकुमार शर्मा आमंत्रित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विवि के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि आज भाषा और साहित्य के विद्यार्थियों के साथ सबसे बड़ी समस्या पुस्तकों का न्यूनतम अध्ययन और अच्छी लेखन शैली का अभाव है. उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें रोजाना समाचार पत्रों को पढ़ने के साथ शुद्ध लिखने की कला को आत्मसात करना चाहिए. नियमित रूप से अच्छी पुस्तकों के अध्ययन से शब्दकोश का संग्रह होता है. मुख्य वक्ता डॉ राजकुमार शर्मा ने कहा कि मनुष्य जन्म लेते ही भाषा का प्रयोग शुरू कर देता है. उन्होंने रेने डेसकार्टेस का नाम लेते हुए कहा कि मैं सोचता हूं, इसलिए मैं हूं. यह दो प्रकार का है. इंटीग्रीटिव और इंस्टुमेंटल. एकात्म जीवन किसी के अस्तित्व का माप है. अंग्रेजी भाषा विश्व की एक सामान्य भाषा है और यह एक संपर्क की भाषा के तौर पर काम करती है. उन्होंने किसी के भी व्यक्ति विशेष के आत्मविश्वास और क्षमता के बीच एक बड़ा अंतर बताया. उन्होंने कहा कि सामान्यत: ऐसा देखा जाता हौ कि उत्तर भारत के लोगों में अंग्रेजी भाषा बोलने में आत्मविश्वास की कमी होती है, जबकि यह स्पष्ट है कि उनमें योग्यता की कमी नहीं है. उन्होंने विद्यार्थियों को शब्दकोश के प्रयोग के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी. इस अवसर पर डिपार्टमेंट की समन्वयक डॉ पीयूष बाला, पीआरओ प्रो राजेश कुमार सिंह, डॉ शुचि संतोष बरवार सहित शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद थे.
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