रांची. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, रांची में रविवार को न्यायमूर्ति एसबी सिन्हा मेमोरियल व्याख्यान सत्र का आयोजन हुआ. विषय था : केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य की स्वर्ण जयंती. मुख्य वक्ता सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि जस्टिस केशवानंद ने कानून के विकास में अहम योगदान दिया है. उनके फैसले 2000 से 2009 तक के लॉ जर्नल्स में प्रमुख स्थान रखते हैं. न्यायमूर्ति गवई ने जस्टिस केशवानंद की कार्यशैली से युवाओं को प्रेरित किया. बताया कि कानूनी पेशा में मेहनती और समर्पित रहना जरूरी है. जस्टिस केशवानंद कई स्टेनोग्राफरों से काम लेते हुए महत्वपूर्ण फैसले लिखवाते थे और सेवानिवृत्ति के बाद भी अपने पेशे में सक्रिय रहे. इससे न केवल लोगों को न्यायिक सेवा का लाभ मिला, साथ ही सामाजिक बदलाव की नींव स्थापित हो सकी.
मौलिक अधिकारों की रक्षा को महत्व देने की जरूरत
जस्टिस गवई ने कहा कि मौलिक अधिकारों की रक्षा को महत्व देने की जरूरत है. मौलिक अधिकार नागरिकों के लिए सम्मानपूर्ण जीवन जीने और सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मददगार हैं. उन्हाेंने स्वच्छ वायु, जल और बेहतर पर्यावरण की आवश्यकता और सामाजिक-आर्थिक विकास को केंद्र में रखते हुए न्यायिक निर्णय लेने पर जोर दिया. इस अवसर पर न्यायमूर्ति एसबी सिन्हा की पत्नी उत्पला सिन्हा और उनके दोनों पुत्र अभिजीत और इंद्रजीत सिन्हा उपस्थित थे. इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत झारखंड हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय ने जस्टिस एसबी सिन्हा को श्रद्धांजलि देकर की.
भारतीय न्यायिक प्रणाली की समृद्ध परंपरा से अवगत करायें
कुलपति डॉ अशोक आर पाटिल ने कहा कि आम नागरिक भारतीय संविधान, मौलिक अधिकारों और न्यायपालिका की भूमिका से परिचित नहीं हैं. ऐसे में कानूनी पेशेवरों को आम जनता के बीच भारतीय न्यायिक प्रणाली की समृद्ध परंपरा और उसके महत्व की जानकारी देनी होगी. मौके पर सहायक रजिस्ट्रार डॉ जीसु केतन पटनायक आदि मौजूद थे.
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