वामदलों का बिहार में गलबहियां, झारखंड में साझा एजेंडा ताक पर
वाम एकता का ताना-बाना झारखंड में बिखर गया है. वहीं पड़ाेस के बिहार में इंडिया गठबंधन में भाकपा माले, सीपीआइ और सीपीएम का गलबहियां है.
रांची. वाम एकता का ताना-बाना झारखंड में बिखर गया है. वहीं पड़ाेस के बिहार में इंडिया गठबंधन में भाकपा माले, सीपीआइ और सीपीएम का गलबहियां है. बिहार में इंडिया गठबंधन में वामदलों के खाते में पांच सीटें आयी हैं. आरा, काराकट और नालंदा पर माले चुनाव लड़ रही है. वहीं बेगूसराय सीपीआइ और खगड़िया सीपीएम के खाते में है. बिहार में वाम दलों को नरेंद्र मोदी की चिंता सता रही थी. सीपीआइ और सीपीएम के आला नेताओं का कहना था कि मोदी को रोकना है. ऐसे में गठबंधन जरूरी है. वामदलों की एकता इंडिया गठबंधन को मजबूत करेगा. वाम एकता का यही एजेंडा झारखंड में बिखर गया. नीति-सिद्धांत और वाम एकता के दर्शन ताक पर रख दिये गये. झारखंड में इंडिया गठबंधन में कोडरमा की सीट भाकपा माले के खाते में गयी है. बगोदर से माले विधायक कोडरमा संसदीय सीट से गठबंधन के प्रत्याशी हैं. माले को सीट मिली, तो इधर सीपीआइ नाराज हो गयी. सीपीआइ का कहना था कि हजारीबाग उनकी जमीन रही है. यह सीट उन्हें दी जाये. वर्ष 2004 में एक बार भुनेश्वर प्रसाद मेहता हजारीबाग से सांसद चुने गये थे. इसी को आधार मान कर सीपीआइ इस सीट पर दावा कर रही है. पार्टी ने घोषणा की है कि श्री मेहता इस सीट से चुनाव लड़ेंगे. झारखंड में इंडिया गठबंधन के घटक दल इस दलील को मानने के लिए तैयार नहीं थे. सीपीआइ ने अब तक चार सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी है. सीपीआइ ने पलामू से अभय भुइयां, लोहरदगा से महेंद्र उरांव, चतरा से अर्जुन कुमार और दुमका से राजेश कुमार किस्कू को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि झारखंड में अब तक सीपीएम ने उम्मीदवार नहीं दिये हैं.
कोडरमा से दूर हैं सहयोगी वाम दल
माले विधायक विनोद सिंह कोडरमा से चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरे वामदल अपने कुनबा से ही दूर हैं. माले के टिकट मिलने के बाद सबसे ज्यादा नाराजगी वामदलों को ही है. झारखंड में वामदलों का रास्ता कोडरमा से खुल सके, इसकी चिंता नहीं है. सबके अपने-अपने एजेंडे हैं.